

भारत-नेपाल सीमा पर सक्रिय मानव तस्करी गिरोह एक्टिव है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट
संदिग्ध बस की जाँच में बड़ा खुलासा
महाराजगंज: भारत-नेपाल सीमा के सोनौली नाके पर शुक्रवार को एसएसबी और एक समाजसेवी संस्था के संयुक्त प्रयास से मानव तस्करी की एक बड़ी कोशिश को नाकाम किया गया।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता को मिली जानकारी के अनुसार, इस अभियान के दौरान 19 नेपाली नाबालिग बच्चों को संदिग्ध परिस्थितियों में कर्नाटक स्थित बौद्ध मठों में ले जाए जाने से पहले ही रोक लिया गया। यह घटना सीमा सुरक्षा के लिहाज से एक महत्वपूर्ण और सफल ऑपरेशन साबित हुई।
बच्चों को बहला-फुसलाकर लाया गया था
एसएसबी के अधिकारियों ने सोनौली सीमा पर एक संदिग्ध बस को रोका, जिसमें नेपाली बच्चों को लेकर जा रहे लोग सवार थे। बच्चों से पूछताछ करने पर यह जानकारी सामने आई कि उन्हें नेपाल से बहला-फुसलाकर भारत लाया जा रहा था। इन बच्चों की उम्र 10 से 16 वर्ष के बीच थी और वे नेपाल के विभिन्न जिलों जैसे सिंधुली, सिंधुपालचौक, मकवानपुर आदि से थे।
नकली दस्तावेज़ के थे बच्चे
जांच में यह भी पाया गया कि बच्चों के पास कोई वैध यात्रा दस्तावेज़ नहीं थे और उन्हें उनके अभिभावकों की अनुमति के बिना भारत लाया जा रहा था। इस पूरी घटना ने मानव तस्करी के एक संगठित रैकेट की संभावना को उजागर किया। जिसे समय रहते नाकाम कर दिया गया।
समाजसेवी संस्था और एसएसबी की संयुक्त कार्रवाई
इस कार्रवाई का उद्देश्य मानव तस्करी पर रोक लगाना और विशेष रूप से महिलाओं एवं बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करना था। एसएसबी और समाजसेवी संस्था की सतर्कता ने न सिर्फ इन 19 बच्चों की जान बचाई, बल्कि मानव तस्करी के रैकेट को भी बड़ा झटका दिया है। इस प्रयास ने यह साबित किया कि सीमा सुरक्षा और सार्वजनिक सहयोग से ऐसे अपराधों पर काबू पाया जा सकता है।
बच्चों को नेपाल पुलिस के हवाले किया गया
बचाए गए सभी बच्चों को नेपाल की बेलहिया पुलिस चौकी को सौंप दिया गया। बेलहिया चौकी के इंस्पेक्टर मनीष न्योपाने ने बताया कि बच्चों की काउंसलिंग की जा रही है और उन्हें उनके परिजनों तक सुरक्षित रूप से पहुंचाने की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है। रूपन्देही पुलिस प्रवक्ता डीएसपी सूरज कार्की ने बताया कि बच्चों को अस्थायी रूप से जिला पुलिस कार्यालय में रखा गया है और उनकी अभिरक्षा में उन्हें परिजनों तक पहुंचाने की कार्रवाई की जा रही है।