

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 25 प्रतिशत नए टैरिफ लगाने और रूस से कच्चे तेल की खरीद पर जुर्माने की घोषणा के बाद भारतीय शेयर बाजारों में भारी गिरावट आई। भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। विदेशी संस्थागत निवेशकों ने बाजार से भारी बिकवाली की। इस बीच भारतीय रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप की उम्मीदें बढ़ी हैं। भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते की बातचीत जारी है।
भारतीय रुपया (Img: Pinterest)
New Delhi: गुरुवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारत पर 25 प्रतिशत नए टैरिफ लगाने और रूस से कच्चे तेल की खरीद पर जुर्माने की घोषणा ने भारतीय आर्थिक बाजारों में हलचल मचा दी। इस फैसले के तुरंत बाद भारतीय शेयर बाजारों में तेज गिरावट दर्ज हुई, जिससे निवेशकों के करोड़ों रुपये डूब गए। वहीं, भारतीय रुपया भी अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्तर 87.66 पर आ गया, जो अब तक का सबसे कमजोर स्तर माना जा रहा है।
रुपये में थोड़ी रिकवरी
रुपये में थोड़ी रिकवरी उस समय आई जब बाजार में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के हस्तक्षेप की संभावना जताई गई। विदेशी मुद्रा कारोबारियों का कहना है कि पिछले तीन वर्षों में रुपये ने डॉलर के मुकाबले एक दिन में सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की है, जब यह 89 पैसे नीचे गिरा था। इसके बाद मामूली सुधार देखने को मिला, लेकिन रुपया अभी भी कमजोर रुख में कारोबार कर रहा है। बुधवार को रुपया 87.80 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच चुका था।
डॉलर की मजबूती को दर्शाने वाला डॉलर इंडेक्स 0.03 प्रतिशत गिरकर 99.78 पर आ गया, जो यह संकेत देता है कि वैश्विक स्तर पर डॉलर की स्थिति थोड़ी कमजोर हुई है। इसके बावजूद अमेरिकी टैरिफ और तेल खरीद पर जुर्माने ने भारतीय बाजारों को प्रभावित किया है।
बीएसई सेंसेक्स की भारी गिरावट
शेयर बाजारों की बात करें तो ट्रंप के इस फैसले के बाद बीएसई सेंसेक्स ने शुरुआती कारोबार में 582.49 अंक की भारी गिरावट दर्ज की और 80,899.37 के स्तर पर आ गया। इसी तरह, एनएसई का निफ्टी 50 भी 151.70 अंक टूटकर 24,802.45 पर पहुंच गया। यह गिरावट निवेशकों की चिंताओं और विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की बिकवाली के कारण हुई। आंकड़ों के अनुसार, बुधवार को एफआईआई ने लगभग 850.04 करोड़ रुपये के शेयर बाजार से निकाले।
इंटरनेशनल स्टैंडर्ड ब्रेंट क्रूड की कीमत में भी गिरावट देखी गई, जो 0.19 प्रतिशत घटकर 73.10 डॉलर प्रति बैरल रह गई। यह कच्चे तेल की खरीद पर लगाये गए जुर्माने की घोषणा के बाद वैश्विक मांग में संभावित कमी का संकेत है।
RBI के कदम से बाजार को कुछ हद तक राहत
वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय रिजर्व बैंक का इस समय हस्तक्षेप करना जरूरी हो सकता है ताकि रुपये की गिरावट को रोका जा सके और बाजार में स्थिरता लाई जा सके। RBI के कदम से बाजार को कुछ हद तक राहत मिलने की उम्मीद है।
हालांकि, भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते को लेकर बातचीत जारी है, जिससे निर्यातकों को उम्मीद बनी हुई है कि भविष्य में दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंध बेहतर होंगे। ट्रेड डील पर हुई चर्चा से भारतीय निर्यातकों को राहत मिल सकती है, लेकिन फिलहाल अमेरिकी टैरिफ नीति से बाजार में अनिश्चितता बनी हुई है।
आर्थिक विशेषज्ञों का कहना
इस परिस्थिति में निवेशकों को सतर्क रहने और बाजार के उतार-चढ़ाव को समझदारी से संभालने की सलाह दी जा रही है। आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि वैश्विक राजनीतिक और आर्थिक घटनाक्रमों से बाजार पर असर पड़ना सामान्य है, लेकिन ऐसे फैसले आर्थिक स्थिरता और विकास को प्रभावित कर सकते हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के भारत पर लगाए गए टैरिफ और तेल की खरीद पर जुर्माने की घोषणा से भारतीय रुपया कमजोर हुआ है, शेयर बाजार में भारी गिरावट आई है और विदेशी निवेशकों की बिकवाली ने बाजार को और दबाव में ला दिया है। ऐसे समय में RBI की नीतियों और सरकार की रणनीतियों पर सबकी नजरें टिकी हैं, ताकि आर्थिक स्थिति को संभाला जा सके।