

टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज़ (टीसीएस) 2025 में भारी मंदी का सामना कर रही है, जिसके कारण कंपनी का बाजार मूल्य 5.66 लाख करोड़ रुपये घट चुका है। इस साल कंपनी के शेयरों में 26% की गिरावट आई है, जबकि विदेशी निवेशक भी अपनी हिस्सेदारी घटा रहे हैं। हालांकि, म्यूचुअल फंडों ने विपरीत रुख अपनाया है और टीसीएस में निवेश बढ़ाया है।
टाटा ग्रुप की TCS को झटका
New Delhi: टाटा ग्रुप की प्रमुख कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) इस समय अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। 2008 की वैश्विक मंदी के बाद से टीसीएस के शेयरों में इस हद तक गिरावट नहीं देखी गई थी। 2025 तक, कंपनी की मार्केट वैल्यू में भारी गिरावट आई है, जिससे निवेशकों में चिंता बढ़ गई है। अब कंपनी का मार्केट कैप घटकर 10.93 लाख करोड़ रुपये रह गया है, जो एक समय में 16.57 लाख करोड़ रुपये था। यह गिरावट 55 प्रतिशत से अधिक हो चुकी है, जो विशेष रूप से निवेशकों के लिए चिंता का विषय बन गई है।
शेयर बाजार में गिरावट का कारण क्या है?
टीसीएस के शेयरों में गिरावट का प्रमुख कारण भारतीय शेयर बाजार में चल रही अस्थिरता है। पिछले कुछ महीनों से विदेशी निवेशकों द्वारा भारतीय शेयर बाजार से निकाले गए निवेश ने आईटी सेक्टर पर दबाव डाल दिया है। एक समय था जब विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) के लिए भारतीय आईटी सेक्टर एक आकर्षक विकल्प था, लेकिन अब वही निवेशक इस सेक्टर से पैसे निकाल रहे हैं। विशेष रूप से, टीसीएस में एफआईआई की हिस्सेदारी जून 2024 में 12.35% थी, जो अब घटकर 11.48% हो गई है। इन विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली के चलते टीसीएस के शेयरों में 25 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है। निफ्टी आईटी सूचकांक भी 2025 में 25 प्रतिशत गिर चुका है, जिससे यह क्षेत्र बाजार में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला सेक्टर बन गया है।
आईटी सेक्टर में म्यूचुअल फंडों का रुख विपरीत
हालांकि, म्यूचुअल फंडों का रुख विपरीत रहा है। घरेलू संस्थाओं ने टीसीएस में अपनी हिस्सेदारी को 4.25% से बढ़ाकर 5.13% कर लिया है। जुलाई 2025 के आंकड़ों के अनुसार, म्यूचुअल फंडों ने टीसीएस में 400 करोड़ रुपये की नई खरीदारी की है। यह इस बात का संकेत है कि जबकि विदेशी निवेशक बाहर जा रहे हैं, घरेलू निवेशक अभी भी इस शेयर में विश्वास दिखा रहे हैं और इसे एक अच्छा निवेश मान रहे हैं। टीसीएस का पिछला मूल्यांकन (PE ratio) 41 गुना से घटकर अब 20 गुना रह गया है, जो इसके निवेशकों के लिए एक सस्ते मूल्य पर खरीदारी का संकेत हो सकता है। हालांकि, पिछले 5 वर्षों में टीसीएस का प्रदर्शन निफ्टी के मुकाबले कमतर रहा है, और सालाना चक्रवृद्धि दर (CAGR) 6% के आसपास रही है।
कर्मचारी कटौती और कंपनी के भविष्य को लेकर चिंताएं
टीसीएस ने हाल ही में अपने कर्मचारियों की संख्या में 2% की कटौती करने का फैसला लिया है, जो एक महत्वपूर्ण कदम है। इस फैसले की आलोचना की जा रही है, और विशेषज्ञों का मानना है कि इससे कंपनी के कार्यान्वयन में कमी आ सकती है। साथ ही, लंबी अवधि में कर्मचारियों की संख्या में बढ़ोतरी की आवश्यकता हो सकती है। जेफरीज ने चेतावनी दी है कि इस तरह की कटौती से कंपनी के संगठनात्मक ढांचे में बदलाव आ सकता है, जिससे उसके कामकाजी माहौल और उत्पादकता पर असर पड़ सकता है। हालांकि, कुछ विश्लेषक यह भी मानते हैं कि यह एक रणनीतिक कदम हो सकता है, जिसे कंपनी अपनी लागत में कटौती और कार्यकुशलता बढ़ाने के लिए उठा रही है।