RBI MPC Meet: रिज़र्व बैंक की मौद्रिक नीति बैठक में रेपो रेट स्थिर, जानें गवर्नर की 7 अहम घोषणाएं

आरबीआई ने अपनी मौद्रिक नीति में रेपो रेट को स्थिर रखते हुए जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान 6.8 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है। गवर्नर संजय मल्होत्रा ने आर्थिक सुधारों और मौद्रिक नीतियों को लेकर कई अहम बातें साझा कीं।

Updated : 1 October 2025, 12:39 PM IST
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New Delhi: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की तीन दिवसीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के बाद गवर्नर संजय मल्होत्रा ने आर्थिक स्थिति पर अपने विचार साझा किए। बैठक के दौरान यह घोषणा की गई कि आरबीआई ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है और इसे 5.5 प्रतिशत पर स्थिर बनाए रखा है। इस फैसले का उद्देश्य मौजूदा आर्थिक स्थिति और वैश्विक परिस्थितियों के मद्देनजर लचीलापन बनाए रखना है। हालांकि, गवर्नर मल्होत्रा ने कई अहम घोषणाएं कीं, जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए उत्साहजनक हैं। आइए जानते हैं आरबीआई गवर्नर की 7 बड़ी बातें-

1. GDP अनुमान में वृद्धि

गवर्नर संजय मल्होत्रा ने यह खुशखबरी दी कि आरबीआई ने देश की जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है। यह आंकड़ा भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत है, क्योंकि देश को अमेरिकी उच्च टैरिफ और वैश्विक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था। इसके साथ ही, खुदरा मुद्रास्फीति के अनुमान को 3.1 प्रतिशत से घटाकर 2.6 प्रतिशत कर दिया गया है। यह लगातार दूसरी बार है जब रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया गया है, जो भारतीय बैंकिंग क्षेत्र के लिए राहत की बात है।

2. ऋण की ब्याज दरों पर कोई असर नहीं

गवर्नर मल्होत्रा ने बताया कि रेपो रेट में स्थिरता से आवास, वाहन और अन्य खुदरा ऋणों की ब्याज दरों पर फिलहाल कोई बदलाव की संभावना नहीं है। इसका मतलब है कि उपभोक्ता और व्यवसायी ऋणों पर समान ब्याज दर का भुगतान करते रहेंगे, जिससे उनकी ऋण लागत पर कोई अतिरिक्त दबाव नहीं पड़ेगा।

3. रेपो दर में पहले की गई कटौती का असर

आरबीआई ने इस साल फरवरी से जून तक रेपो दर में कुल 1 प्रतिशत की कटौती की थी, जिसका असर नए ऋणों पर दिखाई दिया है। गवर्नर ने बताया कि इससे नए ऋणों की उधारी लागत में औसतन 0.58 प्रतिशत की कमी आई है। इसका मतलब है कि ऋण लेने वालों को सस्ता उधारी मिल रही है, जो आर्थिक वृद्धि में सहायक साबित हो सकता है।

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4. विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि

RBI ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि की जानकारी दी है, जो अब $700.2 अरब तक पहुंच चुका है। यह भंडार लगभग 11 महीने के आयात के लिए पर्याप्त है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिरता को दर्शाता है। इस भंडार के बढ़ने से देश की वित्तीय स्थिति मजबूत हुई है, और यह विदेशी निवेशकों का विश्वास बढ़ा सकता है।

5. वैश्विक चुनौतियों के बावजूद सकारात्मक संकेत

गवर्नर ने माना कि वैश्विक स्तर पर कई चुनौतियां बनी हुई हैं, जैसे कि वैश्विक मंदी, बढ़ती तेल कीमतें और व्यापार युद्ध। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि भारत में बेहतर मानसून, जीएसटी दरों में कटौती और अन्य नीतिगत उपायों से मुद्रास्फीति नियंत्रण में रहेगी और आर्थिक वृद्धि को गति मिलेगी। ये उपाय भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक स्थिर और सकारात्मक भविष्य का संकेत हैं।

6. महंगाई पर नियंत्रण और निवेश में बढ़ोतरी

आरबीआई का मानना है कि कम महंगाई और मौद्रिक नरमी से निवेश और उपभोग दोनों को बढ़ावा मिलेगा। यह नीति विशेष रूप से औद्योगिक उत्पादन, उपभोक्ता खर्च और निजी निवेश में बढ़ोतरी का कारण बनेगी। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को दीर्घकालिक स्थिरता मिल सकती है।

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7. 'वेट एंड वॉच' मोड में आरबीआई

गवर्नर मल्होत्रा ने अंत में यह स्पष्ट किया कि आरबीआई अब "वेट एंड वॉच" मोड में है। इसका मतलब है कि आरबीआई फिलहाल स्थिर दरों के साथ अर्थव्यवस्था की दिशा और वैश्विक हालात पर नजर रखेगा। यह निर्णय केवल वैश्विक और घरेलू परिस्थितियों के आधार पर लिया जाएगा, ताकि सही समय पर मौद्रिक नीति में समायोजन किया जा सके।

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आरबीआई की मौद्रिक नीति बैठक ने भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर कई सकारात्मक संकेत दिए हैं। रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करने का निर्णय स्थिरता का प्रतीक है, और देश के आर्थिक विकास की दिशा में मौजूदा नीतियों का असर नजर आने की संभावना है। गवर्नर संजय मल्होत्रा की घोषणाओं से यह स्पष्ट है कि आरबीआई लचीलापन बनाए रखते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार है।

Location : 
  • New Delhi

Published : 
  • 1 October 2025, 12:39 PM IST