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RBI ने 5 दिसंबर तक के हफ्ते में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 1.033 बिलियन डॉलर की वृद्धि की घोषणा की है, जिसके बाद यह 687.260 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है। इस वृद्धि का मुख्य कारण सोने के भंडार में बढ़ोतरी है। FCA में गिरावट के बावजूद भारत का विदेशी मुद्रा भंडार मजबूत बना हुआ है।
RBI डेटा में खुलासा
New Delhi: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के लेटेस्ट 'वीकली स्टैटिस्टिकल सप्लीमेंट' डेटा के अनुसार, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 5 दिसंबर को खत्म हुए हफ्ते में बढ़ा है। इस हफ्ते में कुल 1.033 बिलियन डॉलर का इज़ाफा हुआ है, जिसके बाद देश का विदेशी मुद्रा भंडार अब 687.260 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है। यह वृद्धि मुख्य रूप से सोने के भंडार में आई वृद्धि के कारण हुई है। पिछले कुछ हफ्तों में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट देखी गई थी, लेकिन इस वृद्धि से स्थिति कुछ हद तक सुधरी है।
हालांकि 5 दिसंबर को समाप्त हफ्ते में भारत के फॉरेन करेंसी एसेट्स (FCA) में गिरावट आई है, लेकिन देश का विदेशी मुद्रा भंडार फिर भी मजबूत बना हुआ है। FCA में 151 मिलियन डॉलर की गिरावट आई है, जो अब 556.880 बिलियन डॉलर पर आ गया है। FCA किसी भी देश के विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा हिस्सा होता है और इसमें प्रमुख विदेशी मुद्राएं जैसे अमेरिकी डॉलर, यूरो, ब्रिटिश पाउंड और जापानी येन शामिल होती हैं।
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RBI के डेटा के अनुसार, सोने का भंडार 106.984 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है, जो पिछले हफ्ते के मुकाबले 1.033 बिलियन डॉलर ज्यादा है। सोने को हमेशा सुरक्षित निवेश माना जाता है, और वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच इसमें वृद्धि देखी गई है। सोने के बढ़ते मूल्य और निवेश के लिए मजबूत मांग के कारण इसमें लगातार इजाफा हो रहा है। इसके अलावा, सोने का भंडार भारत के कुल विदेशी मुद्रा भंडार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है, जो आर्थिक स्थिरता और सुरक्षा की दिशा में एक मजबूत कदम है।
फॉरेन करेंसी एसेट्स (FCA) देश की विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे अहम हिस्सा होते हैं। यह मुख्य रूप से व्यापारिक लेन-देन, देश की करेंसी को स्थिर रखने और आर्थिक संकट के समय सुरक्षा कवच के तौर पर काम आते हैं। इसके अलावा, FCA में विदेशी सरकारी बॉंड, ट्रेजरी बिल और विदेशी बैंकों में जमा रकम भी शामिल होती है। इसका मुख्य उद्देश्य दूसरे देशों से व्यापार के दौरान भुगतान करना और वित्तीय संकट के समय देश की आर्थिक सुरक्षा को सुनिश्चित करना है।
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भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल ही में अपनी मॉनिटरी पॉलिसी बैठक में बताया कि देश का विदेशी मुद्रा भंडार 11 महीने से ज्यादा के माल आयात को कवर करने के लिए पर्याप्त है। इसका मतलब यह है कि भारत के पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार है, जो उसे किसी भी वित्तीय संकट से निपटने के लिए तैयार करता है। RBI के मुताबिक, भारत का बाहरी क्षेत्र मजबूत बना हुआ है, और केंद्रीय बैंक को भरोसा है कि वह बाहरी वित्तपोषण जरूरतों को आसानी से पूरा कर सकता है। इस समय भारत का विदेशी मुद्रा भंडार ऐतिहासिक ऊंचाई पर है और उम्मीद की जा रही है कि आने वाले महीनों में यह और भी मजबूत हो सकता है।
2025 के पहले कुछ महीनों में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में लगभग 47-48 बिलियन डॉलर की वृद्धि देखी गई है। यह वृद्धि मुख्य रूप से सोने के भंडार में वृद्धि और विदेशी मुद्रा एसेट्स की स्थिति में सुधार के कारण हुई है। इससे यह स्पष्ट होता है कि भारत के विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिति अब पहले से बेहतर है, जो देश की आर्थिक स्थिति को स्थिर रखने में मदद करेगा।