

ओल्ड और न्यू टैक्स रिजीम में अलग-अलग स्लैब दरें लागू। सही विकल्प चुनकर टैक्स में मिल सकती है बड़ी छूट।
जानिए नया और पुराना टैक्स स्लैब (फोटो सोर्स- इंटरनेट)
New Delhi: देश में तेजी से बढ़ते डिजिटल युग के साथ फ्रीलांसिंग का चलन भी काफी बढ़ा है। वीडियो एडिटिंग, कंटेंट राइटिंग, ग्राफिक डिजाइनिंग, कोडिंग, डिजिटल मार्केटिंग जैसे कामों में फ्रीलांसर बड़ी संख्या में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। लेकिन जब बात टैक्स फाइलिंग की आती है, तो अधिकतर फ्रीलांसर भ्रमित हो जाते हैं कि कौन सा ITR फॉर्म भरना है, टैक्स स्लैब क्या है और वे किन सेक्शनों के तहत टैक्स डिडक्शन का लाभ उठा सकते हैं। यह रिपोर्ट फ्रीलांसरों को ITR फाइलिंग से जुड़े हर जरूरी पहलू की पूरी जानकारी देती है।
फ्रीलांसर को यह समझना जरूरी है कि उनके लिए सही ITR फॉर्म कौन सा है।
ITR-3: अगर आप फ्रीलांसिंग के साथ-साथ कैपिटल गेन या अन्य बिजनेस इनकम से भी कमा रहे हैं तो ITR-3 फॉर्म भरना होता है।
ITR-4 (Sugam): यह फॉर्म उन फ्रीलांसरों के लिए है जिनकी आय प्रोफेशनल या बिजनेस से है और वे प्रिजम्पटिव टैक्सेशन स्कीम (सेक्शन 44ADA) के तहत टैक्स भरना चाहते हैं।
सैलरी लेने वाले या जिनकी आय मुख्य रूप से निवेश पर आधारित है, उनके लिए ITR-1 या ITR-2 फॉर्म उपयुक्त होते हैं, लेकिन फ्रीलांसर इन दोनों से अलग ITR-3 या 4 का चयन करते हैं।
फ्रीलांसर पर वही टैक्स स्लैब लागू होते हैं जो आम करदाताओं पर होते हैं। वे ओल्ड या न्यू टैक्स रिजीम में से किसी एक का चुनाव कर सकते हैं।
ओल्ड टैक्स रिजीम (वर्ष 2024-25 के अनुसार)
₹2.5 लाख तक- कोई टैक्स नहीं
₹2.5 लाख से ₹5 लाख- 5%
₹5 लाख से ₹10 लाख- 20%
₹10 लाख से ऊपर- 30%
फ्रीलांसर भी भर सकते हैं ITR (फोटो सोर्स- इंटरनेट)
₹3 लाख तक- छूट
₹3 लाख से ₹6 लाख - 5%
₹6 लाख से ₹9 लाख - 10%
₹9 लाख से ₹12 लाख- 15%
₹12 लाख से ₹15 लाख- 20%
₹15 लाख से ऊपर- 30%
स्टेप 1: सबसे पहले पूरे वित्त वर्ष (1 अप्रैल से 31 मार्च) की आय की गणना करें – जैसे क्लाइंट से मिलने वाली फीस, इनवॉइस आदि।
स्टेप 2: अब अपने खर्चों (जैसे लैपटॉप, इंटरनेट, ट्रैवल, फोन बिल आदि) और सेक्शन के तहत मिलने वाले डिडक्शन को कैलकुलेट करें।
स्टेप 3: www.incometax.gov.in वेबसाइट पर जाकर लॉगिन करें और ऑनलाइन ITR फॉर्म भरें।
स्टेप 4: फॉर्म सबमिट करने के बाद आधार OTP या अन्य तरीके से वेरिफाई करें।
स्टेप 5: फॉर्म की ई-कॉपी और एक्नॉलेजमेंट डाउनलोड कर सुरक्षित रखें।
सेक्शन 80D: मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम का भुगतान करने पर टैक्स छूट मिलती है।
सेक्शन 80E: एजुकेशन लोन पर दिए गए ब्याज पर डिडक्शन लिया जा सकता है।
सेक्शन 80EEA: होम लोन के ब्याज पर पहली बार घर खरीदने वाले को छूट मिलती है।
सेक्शन 80G: धार्मिक या चैरिटेबल संस्थानों को दिया गया दान टैक्स से छूट योग्य है।
सेक्शन 80U: दिव्यांग व्यक्तियों को विशेष डिडक्शन का लाभ मिलता है।
फ्रीलांसर को आईटीआर फाइलिंग के लिए अपने काम को गंभीरता से लेना चाहिए। सही ITR फॉर्म का चुनाव, आय और खर्च की स्पष्ट गणना, और टैक्स डिडक्शन का पूरा लाभ उठाकर अपने टैक्स बोझ को कम कर सकते हैं।