

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के ताजा आंकड़ों से पता चला है कि सितंबर में महंगाई दर 1.54% तक गिर गई है। खाने-पीने की वस्तुओं की कीमतों में कमी के कारण दिवाली का त्योहार और भी खुशहाल होगा। जीएसटी रिफॉर्म ने भी कीमतों पर नियंत्रण रखने में अहम भूमिका निभाई है।
खाने-पीने की वस्तुओं की कीमतों में गिरावट
New Delhi: देश के आम लोगों के लिए दिवाली से पहले एक बड़ी खुशखबरी आई है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, देश में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) पर आधारित मुद्रास्फीति सितंबर 2025 में घटकर 1.54 प्रतिशत पर आ गई है। यह पिछले महीने की तुलना में 0.53 प्रतिशत की गिरावट दर्शाता है। इस आंकड़े से साफ संकेत मिलता है कि खाने-पीने की वस्तुओं की कीमतों में कमी आई है, जो खासकर त्योहारों के मौसम में लोगों की जेब पर अच्छा असर डाल सकता है।
एनएसओ के आंकड़ों के मुताबिक, खुदरा महंगाई दर 8 सालों के बाद सबसे निचले स्तर पर पहुंची है। जून 2017 के बाद यह सबसे कम महंगाई दर है। इसका मतलब साफ है कि इस बार दिवाली का त्योहार और भी ज्यादा रौशनी और खुशियों से भरा होगा। कीमतों में गिरावट के कारण लोगों को खाना-पीना और घरेलू खर्चों पर कम बोझ झेलना पड़ेगा, जिससे वे ज्यादा बचत कर सकेंगे।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की गिरावट से उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी और घरेलू बजट पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। त्योहारों के दौरान किचन बजट में कटौती नहीं करनी पड़ेगी, बल्कि उचित बजट में स्वादिष्ट और पौष्टिक भोजन बनाया जा सकेगा।
खास तौर पर हरी सब्जियों, दालों, तेल, वसा, फल, अनाज और अंडे जैसी जरूरी खाद्य वस्तुओं की कीमतों में कमी आई है। सितंबर 2025 की तुलना अगर पिछले साल की समान अवधि से करें, तो सब्जियों के दामों में लगभग 21.38 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। इसी तरह दालों और उनके उत्पादों की कीमतों में भी 15.32 प्रतिशत की कमी आई है। यह कमी घरेलू बजट के लिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि खाने-पीने का खर्चा परिवार के कुल खर्च में बड़ी हिस्सेदारी रखता है।
महंगाई में राहत
एनएसओ की रिपोर्ट के मुताबिक, खाद्य महंगाई दर भी सितंबर 2025 में 2.28 प्रतिशत के नीचे पहुंच गई है, जो दिसंबर 2018 के बाद सबसे कम स्तर है। खाद्य तेल, वसा और फलों की कीमतों में भी नियंत्रण बना हुआ है। यह स्थिति दर्शाती है कि खाद्य वस्तुओं की कीमतें स्थिर हो रही हैं और आने वाले समय में भी महंगाई दर नियंत्रित रहने की उम्मीद है।
खाद्य महंगाई कम होने का मुख्य कारण ‘अनुकूल आधार प्रभाव’ और खाद्य वस्तुओं की कीमतों में आई गिरावट है। इसका मतलब यह है कि पिछले साल की तुलना में इस साल की कीमतें कम हैं, जिससे उपभोक्ताओं को राहत मिली है।
सरकार ने हाल ही में जीएसटी रिफॉर्म लागू किया है, जिसने महंगाई को नियंत्रित करने में बड़ा योगदान दिया है। इस सुधार से वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों पर टैक्स का दबाव कम हुआ है, जिसके चलते चीजों की कीमतों में गिरावट आई है। विशेषज्ञों का मानना है कि जीएसटी रिफॉर्म के प्रभाव से महंगाई दर लंबे समय तक नियंत्रण में बनी रह सकती है।
इस कदम से न केवल उपभोक्ताओं को फायदा होगा, बल्कि व्यापारिक गतिविधियों में भी तेजी आएगी और आर्थिक स्थिति सुधरेगी। इसके साथ ही आने वाले त्योहारों के मौसम में बाजार में वस्तुओं की उपलब्धता बढ़ेगी और मांग के अनुरूप कीमतें स्थिर रहेंगी।
कम महंगाई का सबसे बड़ा फायदा आम आदमी को होगा, खासकर हाउसवाइफ और परिवार के खर्चों को संभालने वाले सदस्यों को। सब्जियों, दालों, तेल, फल आदि की कीमतों में कमी से रोजाना के खाने-पीने का खर्च कम होगा। इससे परिवार के लिए किचन बजट में राहत मिलेगी और बचत के नए रास्ते खुलेंगे।
इस दिवाली त्योहार पर पारंपरिक मिठाइयों, पकवानों और दावतों में मनमाने दामों का तनाव कम रहेगा। त्योहारों के मौसम में सामान्यतः मांग बढ़ जाती है, लेकिन इस बार कीमतें स्थिर रहकर लोगों के लिए त्योहार को और भी खास और खुशहाल बनाएंगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सरकार इसी तरह आर्थिक सुधारों को जारी रखती है और महंगाई पर नियंत्रण बनाए रखती है, तो आने वाले महीनों में भी घरेलू सामानों की कीमतों में स्थिरता बनी रहेगी। इससे न केवल त्योहारों का मौसम बल्कि पूरे साल उपभोक्ताओं के लिए राहत भरा रहेगा। इस बार की दिवाली महंगाई में कमी के कारण केवल खुशियों का त्योहार नहीं, बल्कि आर्थिक तौर पर भी लोगों के लिए राहत लेकर आई है। यह संकेत है कि सरकार की नीतियां सही दिशा में काम कर रही हैं और देश की अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है।