

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर जीएसटी में बड़े सुधारों की घोषणा की है। सरकार 12% और 28% की दरों को खत्म कर 5% और 18% स्लैब में शामिल करने की योजना बना रही है। इससे टैक्स प्रणाली सरल होगी, वस्तुएं सस्ती होंगी और कारोबारियों को राहत मिलेगी। यह प्रस्ताव राज्यों के वित्त मंत्रियों के समूह द्वारा समीक्षा के बाद जीएसटी काउंसिल में अंतिम रूप दिया जाएगा।
जीएसटी सुधार (Img: Google)
New Delhi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले से घोषणा की कि सरकार जीएसटी प्रणाली को और अधिक सरल बनाने के लिए बड़े बदलाव करने जा रही है। इसका मकसद टैक्स सिस्टम को आम जनता और व्यापारियों के लिए आसान बनाना है। वर्तमान में लागू चार जीएसटी दरों में से 12% और 28% स्लैब को खत्म करने की योजना तैयार की जा रही है।
सरकार ने इस विषय में राज्यों के वित्त मंत्रियों के समूह को योजना का मसौदा सौंप दिया है। यह समूह इसे गहराई से अध्ययन करेगा और सितंबर में जीएसटी काउंसिल की बैठक में अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
क्या है वर्तमान स्थिति?
देश में अभी जीएसटी चार दरों में लागू है – 5%, 12%, 18%, और 28%। जरूरी वस्तुओं पर कोई टैक्स नहीं लगता, जबकि दैनिक उपभोग की चीजें जैसे साबुन, टूथपेस्ट आदि पर 5% टैक्स, सामान्य वस्तुओं पर 12%, इलेक्ट्रॉनिक्स व सेवाओं पर 18%, और लग्जरी व हानिकारक वस्तुओं पर 28% टैक्स लगता है।
क्या होगा बदलाव?
योजना के अनुसार, 12% स्लैब में आने वाली वस्तुओं को 5% स्लैब में शामिल किया जाएगा। वहीं, 28% स्लैब की वस्तुएं 18% की दर पर आ जाएंगी। इससे टैक्स की दरें कम हो जाएंगी और उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी।
कौन-कौन सी वस्तुएं होंगी सस्ती?
5% स्लैब में आने वाली वस्तुओं में अब हेयर ऑयल, टूथपेस्ट, साबुन, प्रोसेस्ड फूड, फ्रोजन सब्जियां, कंडेंस्ड मिल्क, स्नैक्स, कंप्यूटर, मोबाइल, गीजर, प्रेशर कूकर, वैक्यूम क्लीनर, पानी के फिल्टर, साइकिल, आयुर्वेदिक दवाएं आदि शामिल होंगी।
जबकि 18% स्लैब में आने वाली वस्तुओं में एसी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन, टीवी, मोटरसाइकिल सीट, कार, बीमा, प्लास्टिक उत्पाद, प्रिंटर, रेज़र, चीनी सिरप, प्रोटीन कॉन्सेंट्रेट और टैम्पर्ड ग्लास जैसी वस्तुएं शामिल होंगी।
सरल टैक्स व्यवस्था से होगा फायदा
इस बदलाव से जीएसटी रिटर्न फाइलिंग और टैक्स कलेक्शन की प्रक्रिया भी आसान होगी। कारोबारियों के लिए टैक्स चुकाना सरल होगा और इससे सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों को भी लाभ मिलेगा।
राज्य सरकारों की सहमति जरूरी
जीएसटी एक संघीय कर व्यवस्था है, इसलिए बदलाव के लिए सभी राज्यों की सहमति आवश्यक है। वित्त मंत्रियों के समूह के सुझावों के बाद जीएसटी काउंसिल से मंजूरी ली जाएगी।
विशेषज्ञों की राय
वित्तीय विशेषज्ञ मानते हैं कि यह कदम जीएसटी प्रणाली को और प्रभावी बनाएगा और करदाताओं की संख्या बढ़ाने में मदद करेगा। साथ ही महंगाई पर भी नियंत्रण मिलेगा क्योंकि टैक्स कम होने से वस्तुओं की कीमतों में गिरावट आएगी।