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                        लखनऊ से वाराणसी तक आज सोने की कीमतों में उछाल दर्ज किया गया है। निवेशकों ने इसे सुरक्षित निवेश का जरिया मानते हुए फिर से खरीदारी शुरू की है। जानकारों का कहना है कि अगर वैश्विक अस्थिरता बढ़ी तो सोना जल्द ही नई ऊंचाई छू सकता है।
                                            बढ़ते सोने के दाम से बाजार में हलचल (फोटो सोर्स-इंटरनेट)
Lucknow: उत्तर प्रदेश में सोने-चांदी के दाम एक बार फिर तेजी की राह पर हैं। त्योहारों के बाद जहां निवेशक बाजार में मुनाफा वसूली के दौर में थे, वहीं अब सर्राफा बाजार में सोने और चांदी की कीमतों ने फिर से रफ्तार पकड़ ली है। आर्थिक और भू-राजनीतिक अस्थिरता के संकेतों के बीच निवेशक एक बार फिर सोने की ओर रुख करते नजर आ रहे हैं। सवाल यह है कि क्या आने वाले दिनों में सोना एक बार फिर नई ऊंचाइयों को छू सकता है?
4 नवंबर 2025 को उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरों- लखनऊ, नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ, अयोध्या, गोरखपुर, कानपुर, वाराणसी और आगरा के सर्राफा बाजार में 24 कैरेट सोने का दाम ₹1,19,600 प्रति 10 ग्राम दर्ज किया गया। वहीं, 22 कैरेट सोना ₹1,13,900 प्रति 10 ग्राम के स्तर पर पहुंच गया। यह पिछले सप्ताह की तुलना में करीब ₹600 से ₹800 की बढ़ोतरी दर्शाता है।
वहीं, 18 कैरेट गोल्ड की कीमत आज ₹92,700 प्रति 10 ग्राम के आसपास बनी रही। चांदी में भी तेजी देखने को मिली है- चांदी का भाव आज ₹1,68,000 प्रति किलोग्राम के करीब पहुंच गया है। सर्राफा व्यापारियों का कहना है कि फिलहाल सोने और चांदी में जो हल्की उछाल दिख रही है, वह अंतरराष्ट्रीय बाजार के रुझानों और घरेलू मांग दोनों के संयुक्त असर का परिणाम है।
दीवाली, धनतेरस और छठ जैसे त्योहारों के बाद आमतौर पर सोने की खरीदारी में कमी आती है, लेकिन इस बार हालात थोड़े अलग हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि निवेशक अब भी सोने को एक ‘सेफ हेवन एसेट’ के रूप में देख रहे हैं। वैश्विक अर्थव्यवस्था में जारी अनिश्चितता और महंगाई के दबाव के बीच सोने की मांग में कमी नहीं आई है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सोने के दामों में स्थिरता बनी हुई है। अमेरिकी डॉलर में उतार-चढ़ाव, क्रूड ऑयल की कीमतों और मध्य-पूर्व में बढ़ते जियो-पॉलिटिकल तनाव के चलते निवेशक जोखिम भरे एसेट्स से निकलकर सोने की तरफ जा रहे हैं। इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में गोल्ड की कीमतों में समर्थन मिला है, जिसका असर भारतीय बाजारों पर भी दिखाई दे रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि अभी जो तेजी देखने को मिल रही है, वह एक तरह से “करेक्शन फेज” के बाद की पुनर्बहाली है। पिछले एक वर्ष में सोने की कीमतों में लगभग 50% तक की वृद्धि देखी गई थी। इस उछाल के बाद कुछ समय के लिए मुनाफा वसूली का दौर चला, जिससे सोने की कीमतों में हल्की गिरावट आई।
प्रतीकात्मक छवि (फोटो सोर्स-इंटरनेट)
अब जब बाजार स्थिर हो रहा है, तो फिर से सोने में खरीदारी बढ़ने लगी है। विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर आने वाले महीनों में अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में कटौती करता है, या जियो-पॉलिटिकल तनाव बढ़ता है, तो सोने की कीमतों में एक बार फिर नई छलांग लग सकती है।
ट्रेड एनालिस्ट्स का अनुमान है कि दिसंबर 2025 तक सोना ₹1,25,000 प्रति 10 ग्राम के स्तर को छू सकता है, अगर अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अस्थिरता बनी रहती है।
चांदी के भाव में भी इस समय मजबूती देखी जा रही है। औद्योगिक उपयोग और आभूषण क्षेत्र में बढ़ती मांग के चलते चांदी ₹1,68,000 प्रति किलो तक पहुंच गई है। कई विशेषज्ञ मानते हैं कि आने वाले महीनों में अगर औद्योगिक गतिविधियां बढ़ती हैं, तो चांदी ₹1,75,000 प्रति किलो के स्तर को पार कर सकती है।
चांदी की कीमतों पर भी डॉलर इंडेक्स और ग्लोबल डिमांड का बड़ा असर पड़ता है। चांदी, सोने की तरह ही एक सेफ इन्वेस्टमेंट विकल्प मानी जाती है, खासकर उन निवेशकों के लिए जो कम पूंजी में निवेश करना चाहते हैं।
सोने-चांदी की कीमतों में रोजाना बदलाव कई कारकों पर निर्भर करता है- जैसे अंतरराष्ट्रीय स्पॉट मार्केट, रुपये की विनिमय दर, केंद्रीय बैंक की नीतियां और घरेलू मांग। जहां एक ओर डॉलर के कमजोर होने से भारत में सोना महंगा होता है, वहीं घरेलू मांग बढ़ने पर स्थानीय बाजार में प्रीमियम भी देखने को मिलता है।
स्थानीय सर्राफा व्यापारी बताते हैं कि फिलहाल मांग स्थिर है लेकिन निवेशक वर्ग सक्रिय है। कई लोग सोने में निवेश को भविष्य की सुरक्षा मानते हैं, खासकर तब जब बाजार में अस्थिरता बनी हुई हो।
अगर आप सोना या चांदी खरीदने की सोच रहे हैं, तो जानकारों की राय है कि किस्तों में निवेश करना समझदारी होगी। यानी एकमुश्त खरीदारी की बजाय हर गिरावट पर थोड़ी मात्रा में निवेश करना बेहतर रहेगा। यह तरीका जोखिम को कम करता है और औसत खरीद मूल्य को संतुलित रखता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि सोने में निवेश लंबी अवधि के लिए फायदेमंद साबित होता है। अल्पकालिक उतार-चढ़ाव से घबराने की बजाय, निवेशकों को इसे एक दीर्घकालिक सुरक्षित संपत्ति के रूप में देखना चाहिए।
फिलहाल सोने और चांदी दोनों में तेजी का रुख बना हुआ है। महंगाई, ब्याज दरों और जियो-पॉलिटिकल हालात के मद्देनज़र, आने वाले महीनों में सोना एक बार फिर रिकॉर्ड ऊंचाइयों को छू सकता है। हालांकि निवेशकों को सतर्क रहकर बाजार पर नजर बनाए रखनी चाहिए, क्योंकि सोने की असली चमक तभी बरकरार रहेगी जब निवेश समझदारी से किया जाए।