

हरियाणा सरकार के आईपीएस वाई पूरन कुमार की आत्महत्या ने न सिर्फ प्रशासनिक बल्कि सियासी हलकों में भी हलचल मचा दी है। दिवंगत अफसर के परिवार ने डीजीपी शत्रुजीत कपूर और रोहतक के एसपी के खिलाफ ठोस कार्रवाई की मांग की है।
IPS पूरन सुसाइड केस
Chandigarh: हरियाणा के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की आत्महत्या के बाद से पूरे राज्य में राजनीतिक और प्रशासनिक हलचल मची हुई है। दिवंगत अफसर के परिवार ने यह दावा किया है कि उनके साथ हुई अनदेखी और कुछ वरिष्ठ अधिकारियों के दखल ने उन्हें तनाव में डाल दिया था, जिसके परिणामस्वरूप उन्होंने आत्महत्या का कदम उठाया। इस मामले ने हरियाणा सरकार के लिए गंभीर समस्याएं पैदा कर दी हैं, खासकर मुख्यमंत्री नायब सैनी और उनकी सरकार के लिए।
वाई पूरन कुमार के परिवार ने उनकी आत्महत्या के बाद कई वरिष्ठ अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। विशेष रूप से डीजीपी शत्रुजीत कपूर और रोहतक के एसपी को लेकर परिवार ने ठोस कार्रवाई की मांग की है। मुख्यमंत्री नायब सैनी और उनके मंत्रियों ने मामले को शांत करने के लिए प्रयास किए, लेकिन परिवार की मांग पर सरकार कोई ठोस कदम उठाने से बचती नजर आ रही है। पांच दिन बाद रोहतक के एसपी को हटा दिया गया, लेकिन डीजीपी के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया गया, जिससे परिवार और दलित संगठनों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
हरियाणा सरकार की कोशिश थी कि एसपी को हटाने के बाद परिवार को पोस्टमार्टम के लिए राजी कर लिया जाए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसके परिणामस्वरूप सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं। इस सबने सरकार के कामकाज को प्रभावित किया और उन्हें अपनी आगामी योजनाओं में दिक्कतों का सामना करना पड़ा। मुख्यमंत्री नायब सैनी ने जहां एक तरफ अफसरों के साथ इस मामले पर बैठकें कीं, वहीं दूसरी तरफ पार्टी और परिवार के दबाव में निर्णय लेने में देरी हो रही थी।
वाई पूरन कुमार की आत्महत्या के मामले के बाद हरियाणा सरकार को भारी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा। मुख्यमंत्री नायब सैनी ने अपनी और अफसरों की जापान यात्रा के प्रचार के लिए प्रेस ब्रीफिंग आयोजित करने की योजना बनाई थी, लेकिन आत्महत्या का मामला सामने आने के बाद यह प्रेस ब्रीफिंग रद्द करनी पड़ी। इससे सरकार की प्रतिष्ठा पर भी सवाल खड़े हुए हैं।
इस घटना के सियासी पहलू ने अब और तूल पकड़ लिया है। कांग्रेस ने इस मामले में खुलकर दिवंगत आईपीएस के परिवार के समर्थन में बयान दिया है। सूत्रों के अनुसार, राहुल गांधी भी परिवार से मिलने जा सकते हैं। वहीं, आम आदमी पार्टी के नेता भी शोक संतप्त परिवार से मिलने पहुंचे और उन्होंने हरियाणा सरकार की कार्यशैली पर तीखा प्रहार किया। दलित संगठनों ने भी इस मामले को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है, और सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी कर ली है।
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वाई पूरन कुमार की आत्महत्या ने हरियाणा सरकार के लिए नई समस्याएं खड़ी कर दी हैं। आईएएस अफसरों की एक बड़ी लॉबी, जिसमें अमनीत पी कुमार भी शामिल हैं, ने इस मामले में अपनी भूमिका निभाई है और उनकी प्रतिक्रिया सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ा सकती है। इसके अलावा, दलित संगठनों ने भी इस मामले को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं, और वे मामले की गहन जांच की मांग कर रहे हैं।
वाई पूरन कुमार के सुसाइड नोट में कई वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के नाम आए हैं, जिन पर उनका आरोप था कि उन्होंने उनके साथ भेदभाव किया। इस सुसाइड नोट ने पूरे मामले को और जटिल बना दिया है, क्योंकि इसमें कुछ बड़े नामों का जिक्र किया गया है, जो अब राज्य सरकार की कार्यप्रणाली को प्रभावित कर सकते हैं।