

बिहार के बाढ़ अंचल कार्यालय में एक युवक ने ‘ब्लूटूथ नॉइस’ नाम से फर्जी निवास प्रमाण पत्र बनवाकर सरकारी सिस्टम की जांच की और वह सफलतापूर्वक बन गया! यह घटना सरकारी कार्यप्रणाली में सख्त चेकिंग की कमी उजागर करती है और प्रशासन में लापरवाही की ओर संकेत देती है।
बाढ़ अंचल कार्यालय का कारनामा
Patna News: यह सुनने में हैरान करने जैसा जरूर है, लेकिन बिहार के बाढ़ अंचल कार्यालय में एक युवक ने ब्लूटूथ नॉइस नाम से निवास प्रमाण पत्र बनवा लिया। पिता-माता का नाम ईस्टवुड लिखा, फोटो में ब्लूटूथ डिवाइस इस्तेमाल की लेकिन सिस्टम ने उसे पास कर दिया।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता को मिली जानकारी के अनुसार, युवक एनसीएल (नेशनल सिटिजनशिप लॉ) प्रमाणपत्र बनवाने गया था, लेकिन राजस्व कर्मियों ने उसे रिपोर्टिंग और खतियान मिलान के लिए भेजा। युवक के अनुसार, कर्मचारियों की जांच क्षमता ने उसे निराश किया। उसने तय किया कि सिस्टम की सच्चाई को जाँचा जाएगा और 'ब्लूटूथ नॉइस' नाम से फर्जी आवेदन किया।
भरोसेमंद सिस्टम की सनसनीखेज विफलता
युवक घर से हल्के-फुल्के मूड में आवेदन किया। उसके पिता माता का नाम व्हिक्की इस्टवुड डाला, फोटो की जगह ब्लूटूथ डिवाइस अपलोड की लेकिन आवेदन स्वीकृत हो गया। सिस्टम की जांच प्रक्रिया इतनी कमजोर रही कि पॉलीसी से हटकर स्पर्श तक नहीं हुआ।
प्रमाण पत्र बनते ही हड़कंप मचा विभाग में
निवास प्रमाण पत्र निर्माण होते ही मामला वायरल हो गया। अंचल कार्यालय में हड़कंप मच गया और वरिष्ठ प्रशासन पर प्रश्न उठे। यह प्रकरण तकनीकी और विभागीय दोनों ओर से लापरवाही की पहचान प्रस्तुत करता है।
एंट्री सिस्टम है बुरी तरह दोषपूर्ण
युवक के पास आवेदन फॉर्म का स्क्रीनशॉट भी था, जिसमें नाम, फोटो और फर्जी जानकारी सब थी। यह साबित करता है कि सिस्टम बिना किसी वैध पहचान या दस्तावेज जांचे प्रमाण पत्र प्रदान कर सकता है।
जिम्मेदारी का भार एसडीएम पर
प्रदेश शासन ने मामले को गंभीरता से लिया है। एसडीएम बाढ़ को जांच का जिम्मा सौंपा गया है। उन्होंने बयान दिया, जो सबूत दिखेंगे, उसके आधार पर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
क्या कहना है उच्चाधिकारियों का?
वरिष्ठ प्रशासन ने बताया कि यह मामला सिस्टम की बुनियादी मृत्यु नहीं बल्कि लापरवाही का उदाहरण है। उन्होंने कहा कि कठोर जांच से दोषी सामने आएँगे और सिस्टम में सुधार की प्रक्रिया शुरू होगी।
सिस्टम सुधार की दिशा में क्या कदम उठेंगे?
1. आधार जैसी डिजिटल पहचान की अनिवार्य सत्यापन व्यवस्था लागू होगी।
2. चेकिंग कर्मियों को ट्रेनिंग दी जाएगी फोटो, नाम, पिता नाम व अपलोड विधि को गंभीरता से जांचें।
3. दस्तावेज समीक्षा को सिस्टम के साथ जोड़ना होगा, जैसे खतियान, वोटर आईडी आदि।
4. डिजिटल फुलप्रूफिंग टूल, जैसे ऑटोमैटिक डुप्लीकेट चेक और कंटेंट क्वालिटी गेट, सिस्टम में जोड़े जाएंगे।
सामान्य जनता की प्रतिक्रिया
स्थानीय लोग कह रहे हैं कि यह घटना विभागीय त्रुटियों की घोर विफलता बताती है। उन्होंने मांग की है कि सिस्टम को कम्प्यूटरीकृत सत्यापन, फोटो पहचान और कागज़ पर हस्ताक्षर अनिवार्य हो। उनका मानना है कि बिना मजबूत चेकिंग, भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े को बल मिलेगा।