Bihar Election Result: इन मतदानों की नहीं होगी गणना, जानें आखिर क्या हैं टेंडर Vote?

बिहार चुनाव परिणामों का इंतजार चरम पर है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ खास तरह के वोट शुक्रवार को होने वाली काउंटिंग में शामिल ही नहीं किए जाएंगे? चुनाव आयोग के नियमों, प्रक्रिया और उनसे जुड़ी गलत धारणाओं को समझने के लिए पढ़ें यह विस्तृत रिपोर्ट।

Post Published By: Nidhi Kushwaha
Updated : 14 November 2025, 8:41 AM IST
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Patna: बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे आने से पहले पूरे राज्य में राजनीतिक माहौल बेहद गर्म है। मतगणना शुरू हो चुकी है और हर कोई जानना चाहता है कि सत्ता की कुर्सी किसके हिस्से जाएगी। लेकिन इसी बीच एक महत्वपूर्ण सवाल चर्चा में है, जिनमें कुछ ऐसे वोट भी हैं जिनकी गिनती मतगणना में नहीं की जाएगी। ये वोट कौनसे हैं और क्यों नहीं गिने जाते? आइए समझते हैं।

कौनसे वोट नहीं गिने जाते?

चुनाव आयोग के निर्देशों के अनुसार, काउंटिंग के दौरान टेंडर वोट की गिनती नहीं की जाती। इन्हें सिर्फ सीलबंद रखा जाता है और सामान्य मतगणना में शामिल नहीं किया जाता। टेंडर वोट चुनाव प्रक्रिया का अहम हिस्सा हैं, लेकिन इन्हें तभी खोला जाता है जब न्यायालय विशेष परिस्थिति में ऐसा आदेश दे।

क्या होते हैं टेंडर वोट?

टेंडर वोट उन मतदाताओं के लिए होते हैं जिनके नाम से पहले ही किसी अन्य व्यक्ति ने गलती से या धोखाधड़ी से वोट डाल दिया हो। जब वास्तविक मतदाता मतदान केंद्र पर पहुंचता है और पाता है कि उसके नाम पर पहले ही वोट दर्ज हो चुका है, तो वह प्रिसाइडिंग ऑफिसर को इसकी सूचना देता है।

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चुनाव संचालन नियम, 1961 की धारा 49P के तहत, पहचान सत्यापित होने पर ऐसे मतदाता को एक विशेष बैलेट पेपर दिया जाता है। इसी बैलेट पर डाला गया वोट टेंडर वोट कहलाता है। इसे एक अलग सीलबंद लिफाफे में रखा जाता है, ताकि इसे नियमित वोटों से अलग पहचाना जा सके। इन वोटों की खासियत यह है कि ये इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) में नहीं जाते, इसलिए सामान्य काउंटिंग का हिस्सा नहीं बनते। इन्हें केवल सुरक्षा के तहत संरक्षित किया जाता है।

कब होती है टेंडर वोट की गिनती?

सामान्य परिस्थितियों में इनकी गिनती बिल्कुल नहीं होती। लेकिन अगर किसी निर्वाचन क्षेत्र में जीत-हार का अंतर बेहद कम रह जाए और अदालत को यह आशंका लगे कि टेंडर वोट परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं, तो न्यायिक आदेश पर इन्हें खोला और गिना जा सकता है।

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ऐसा ही एक उल्लेखनीय मामला राजस्थान विधानसभा चुनाव 2008 में सामने आया था। कांग्रेस के सी.पी. जोशी और भाजपा के कल्याण सिंह चौहान के बीच सिर्फ एक वोट का अंतर रह गया थाअदालत के आदेश पर टेंडर वोट की गिनती कराई गई। अगर कोर्ट हस्तक्षेप न करता, तो ये वोट सीलबंद ही रहते। चुनाव संचालन नियम, 1961 की धारा 56 भी स्पष्ट रूप से बताती है कि टेंडर वोट नियमित गिनती का हिस्सा नहीं होते।

14% टेंडर वोट पड़ें तो पुनर्मतदान होता है?

सोशल मीडिया पर यह दावा अक्सर फैलता है कि अगर किसी सीट पर 14% या उससे अधिक टेंडर वोट पड़ें, तो वहां दोबारा मतदान कराया जाता है। लेकिन चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि यह पूरी तरह गलत और भ्रामक सूचना है। किसी भी परिस्थिति में टेंडर वोट का प्रतिशत पुनर्मतदान का आधार नहीं बनता।

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  • Patna

Published : 
  • 14 November 2025, 8:41 AM IST