

बिहार विधानसभा चुनाव के बीच पूर्णिया सांसद पप्पू यादव पर आचार संहिता उल्लंघन का मामला दर्ज हुआ है। एक घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद प्रशासन ने सांसद के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है
पप्पू यादव के खिलाफ एफआईआर दर्ज
Patna: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की रणभूमि में एक बार फिर राजनीतिक विवाद गरमा गया है। पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव पर चुनाव आचार संहिता उल्लंघन का गंभीर आरोप लगा है। यह मामला वैशाली जिले के देसरी थाना क्षेत्र का है, जहां उन्होंने बाढ़ प्रभावित परिवारों को नकद सहायता प्रदान की। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद प्रशासन ने सांसद के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है।
सांसद पप्पू यादव ने वैशाली के सहदेई प्रखंड के गनियारी गांव में करीब 80 बाढ़ पीड़ित परिवारों को 4,000-4,000 रुपये की राशि वितरित की। यह नकद वितरण आचार संहिता के उल्लंघन के रूप में सामने आया है क्योंकि चुनाव प्रचार के दौरान चुनाव आयोग ने नकद वितरण पर रोक लगाई है। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि यादव पीड़ितों से बात करते हुए उन्हें आर्थिक मदद दे रहे हैं।
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इस मामले में जब उनसे सवाल किया गया तो उन्होंने बेबाकी से कहा, "जिसको जो करना है करे, गरीबों की मदद नहीं रोकेंगे। चुनाव आयोग का मुझे डर नहीं है। कम से कम तिरपाल तो होगा, कुछ दिन तो जी लेगा गरीब।" सांसद ने अपने बयानों में यह भी साफ किया कि वे गरीबों की सहायता करना अपना कर्तव्य समझते हैं और इस काम को चुनाव आयोग के डर से नहीं छोड़ेंगे।
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— डाइनामाइट न्यूज़ हिंदी (@DNHindi) October 10, 2025
सांसद ने इस दौरान स्थानीय सांसद चिराग पासवान और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय पर भी जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि लगातार लोगों के घर कट रहे हैं लेकिन राजनीतिक और प्रशासनिक अधिकारियों ने इन पीड़ितों की कोई सुध नहीं ली। पप्पू यादव ने कहा कि नेताओं के चुनावी खर्चे करोड़ों में हैं, लेकिन आम जनता के लिए कोई काम नहीं होता।
महनार अनुमंडल अधिकारी नीरज कुमार ने मामले की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि शिकायत मिलने के बाद सहदेई बुजुर्ग के अंचल अधिकारी (CO) को जांच सौंपी गई है और आवश्यक कानूनी कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। पुलिस ने इस मामले में तेजी से एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
बिहार में आचार संहिता के तहत चुनाव आयोग ने इस तरह के नकद वितरण को सख्त रोक लगाई है ताकि चुनाव प्रक्रिया निष्पक्ष और शांतिपूर्ण रहे। ऐसे मामलों में आयोग जांच करता है और उल्लंघन पाए जाने पर सख्त कार्रवाई करता है।