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महराजगंज में स्वच्छ भारत मिशन का सपना अधूरा है। सामुदायिक शौचालय बंद या अधूरे हैं, ग्रामीण खुले में शौच को मजबूर हैं। अधिकारियों की लापरवाही और कागजी खेल से बजट बर्बाद हो रहा है।
Mahrajganj: केंद्र और प्रदेश सरकार की स्वच्छ भारत मिशन योजना, जिसका उद्देश्य गांवों को खुले में शौच मुक्त और स्वच्छ बनाना था, महराजगंज में कागजी खेल बनकर रह गई है। लक्ष्मीपुर ब्लॉक के पिपरहवा गांव के सामुदायिक शौचालय को लेकर ग्रामीणों ने बताया की पूरे कार्यकाल में ये शौचालय नहीं खुला। शौचालय के दरवाजे पर ताला लटका है। गांव के लोगों को बाहर शौच करने जाना पड़ता है, बरसात के दिनों में यह स्थिति दुभर हो जाती है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, सामुदायिक शौचालयों के लिए बजट तो जारी हुआ, लेकिन अधिकांश शौचालय या तो बंद हैं या अधूरे पड़े हैं। पिपरहवा गांव के शौचालय पर ताला लटका है, जिससे ग्रामीण, खासकर महिलाएं, बरसात में खुले में शौच को मजबूर हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि अधिकारी केवल कागजों में काम पूरा दिखाते हैं। गांव के प्रधान अशोक यादव दावा करते हैं कि शौचालय खुलता है, लेकिन ग्रामीण इसे झूठ बताते हैं। ग्राम सचिव प्रबल प्रताप ने शौचालयों को जल्द चालू करने का आश्वासन दिया है। सवाल यह है कि 6000 रुपये मानदेय और 3000 रुपये सफाई के लिए मिलने के बावजूद केयरटेकर कहां हैं? आखिर सरकारी बजट का दुरुपयोग कब तक?