

लालकुआं में हरेला महोत्सव के तहत वृक्षारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया गया। अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों ने फलदार और औषधीय पौधे लगाकर संरक्षण की शपथ ली। पढ़ें पूरी खबर
हरेला महोत्सव
Lalkuwa: पर्यावरण संरक्षण और जलवायु संतुलन को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड में हरेला पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। इसी क्रम में तराई पूर्वी वन प्रभाग के डौली रेंज कार्यालय परिसर में वन विभाग द्वारा हरेला महोत्सव का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ वन क्षेत्राधिकारी नवीन चंद्र पवार एवं नगर पंचायत अध्यक्ष सुरेंद्र लोटनी ने संयुक्त रूप से किया।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार उन्होंने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन को देखते हुए प्रत्येक व्यक्ति को साल में कम से कम एक पौधा जरूर लगाना चाहिए और उसके संरक्षण की जिम्मेदारी भी लेनी चाहिए। कार्यक्रम की शुरुआत अमरूद का पौधा लगाकर की गई, जो वर्षा ऋतु के वृक्षारोपण अभियान का प्रतीक बना।
विभिन्न फलदार और औषधीय पौधों का रोपण
इस अवसर पर मौजूद डौली रेंज के वनकर्मियों, जनप्रतिनिधियों एवं अन्य गणमान्य नागरिकों ने भी विभिन्न फलदार और औषधीय पौधों का रोपण किया। इनमें रुद्राक्ष, पीपल, बड़, आंवला, नीम, शीशम, आम, अमरूद, सहजन, अर्जुन, जामुन, बेल, सिरस, पिलखनस और बकैन जैसे पौधे शामिल रहे।
वृक्षारोपण पर क्या बोले वक्ता
वक्ताओं ने कहा कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री और वन मंत्री के निर्देशन में पूरे प्रदेश में वृक्षारोपण अभियान चलाया जा रहा है। हरेला पर्व न केवल हरियाली का प्रतीक है, बल्कि यह लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाने का माध्यम भी बनता है।
उन्होंने यह भी बताया कि वृक्षारोपण से न केवल पर्यावरण की रक्षा होती है, बल्कि यह किसानों और ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति को भी मजबूत करता है। एक पेड़ न केवल ऑक्सीजन देता है, बल्कि पर्यावरण, जल संरक्षण, मिट्टी के कटाव और जैव विविधता को भी बचाने में मदद करता है। वन विभाग ने ऐसे सभी लोगों को सहयोग और सम्मान देने की बात कही जो वृक्षारोपण और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में सक्रिय हैं।
कार्यक्रम में उपस्थित रहे ये अधिकारी
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कार्यक्रम में व्यापार मंडल अध्यक्ष दीवान सिंह बिष्ट, सांसद प्रतिनिधि लक्ष्मण खाती, भाजपा मंडल अध्यक्ष अरुण जोशी, सभासद धन सिंह बिष्ट सहित कई जनप्रतिनिधि और वनकर्मी उपस्थित रहे। हरेला महोत्सव के माध्यम से लोगों में पर्यावरण के प्रति सजगता और जिम्मेदारी का संदेश देने का प्रयास किया गया।