

डोईवाला में शहीद दुर्गा मल्ल पीजी कॉलेज द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में भारतीय ज्ञान परंपरा को लेकर गंभीर चर्चा हुई। विशेषज्ञों ने आधुनिक समय में इसकी प्रासंगिकता और चुनौतियों पर प्रकाश डाला।
डोईवाला में उठी संरक्षण और प्रचार की बुलंद आवाज
Doiwala (Dehradun): भारतीय ज्ञान परंपरा और उसकी समकालीन प्रासंगिकता को लेकर डोईवाला के शहीद दुर्गा मल्ल राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में एक मल्टी डिसीप्लिनरी अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस का शुभारंभ हुआ। इस सम्मेलन का आयोजन महाविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग द्वारा किया गया, जिसका उद्देश्य भारतीय ज्ञान परंपरा के विविध आयामों पर विमर्श करना और आधुनिक चुनौतियों के संदर्भ में उसके समाधान तलाशना रहा।
कॉन्फ्रेंस के पहले दिन विज्ञान भवन में आयोजित उद्घाटन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि भारत की ज्ञान परंपरा हजारों वर्षों पुरानी है और यह केवल ज्ञान तक सीमित नहीं, बल्कि जीवन शैली, विज्ञान, दर्शन और मानवता की गहराई तक फैली हुई है। उन्होंने कहा कि भारत ज्ञान और मूल्यों के बल पर ही विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर है।
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— डाइनामाइट न्यूज़ हिंदी (@DNHindi) October 8, 2025
उत्तराखंड के यमकेश्वर विधायक बृजभूषण गैरोला ने अपने संबोधन में कहा कि भारतीय ज्ञान परंपराएं आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं, जितनी वे प्राचीन काल में थीं। हालांकि, आज उन्हें कई वैश्विक और वैचारिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन इन परंपराओं की जड़ें इतनी गहरी हैं कि वे इन चुनौतियों के सामने डगमगाए बिना खड़ी हैं।
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इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मनमोहन कृष्ण ने अपने व्याख्यान में कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा ने विश्व को एक समग्र दृष्टिकोण दिया है। यह दृष्टिकोण केवल भौतिक विकास तक सीमित नहीं है, बल्कि सामाजिक, नैतिक और आध्यात्मिक विकास में भी इसका महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
संस्थानों के विद्वानों ने शोधपत्र प्रस्तुत किए
आईआईटी के प्रोफेसर एस. के. सिंह ने भारतीय दर्शन और विज्ञान के बीच संतुलन की चर्चा करते हुए कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा को केवल सतही तौर पर नहीं समझा जा सकता। इसके लिए इसकी गहराई में उतरना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि वेद, उपनिषद, योग, आयुर्वेद और खगोल विज्ञान जैसे क्षेत्रों में भारत का योगदान अद्वितीय है।
कॉलेज के प्राचार्य डॉ. डीपी भट्ट ने कहा कि इस प्रकार की अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का आयोजन डोईवाला जैसे अर्ध-शहरी क्षेत्र में होना गर्व का विषय है। उन्होंने कहा कि यह आयोजन न केवल छात्रों और शोधार्थियों के लिए लाभकारी है, बल्कि यह क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर विचारों के आदान-प्रदान का एक मंच भी है।
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आयोजन समिति के संयोजक डॉ. शिवलाल ने जानकारी देते हुए बताया कि इस तीन दिवसीय कॉन्फ्रेंस में देश-विदेश के विशेषज्ञों द्वारा शोध पत्र प्रस्तुत किए जाएंगे। इन शोध पत्रों में भारतीय ज्ञान परंपरा, नवाचार, विज्ञान, भाषा, साहित्य, शिक्षा और समाज जैसे विषयों पर गहन मंथन होगा।
कार्यक्रम में आए विधायक बृजभूषण गैरोला ने महाविद्यालय को 200 कुर्सियां उपलब्ध कराने की घोषणा भी की, जिसे उपस्थित छात्र-शिक्षकों ने तालियों की गड़गड़ाहट से सराहा। इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भारत के विभिन्न राज्यों से आए शोधार्थी, विद्वान और शिक्षाविद हिस्सा ले रहे हैं, जिससे यह उम्मीद की जा रही है कि भारतीय ज्ञान परंपरा को नए दृष्टिकोणों और वैश्विक मंचों पर एक नई पहचान मिलेगी।