

बालीवुड के मशहूर अभिनेता रजनीकांत उत्तराखंड के ऋषिकेश दौरे पर हैं। रजनीकांत ने आश्रम में ध्यान साधना की और गंगा घाट पर आयोजित गंगा आरती में हिस्सा लिया। न्होंने स्वामी शुद्धानंद सरस्वती से मुलाकात कर उनका आशीर्वाद लिया।
मुनि की रेती पहुंचे अभिनेता रजनीकांत
Rishikesh: बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता रजनीकांत अपने दोस्तों के साथ मुनि की रेती शीशमझाड़ी स्थित स्वामी दयानंद आश्रम पहुंचे। आश्रम में वह स्वामी दयानंद सरस्वती के समाधी स्थल पर पहुंचे। समाधि स्थल पर उन्होंने उनकी मूर्ति पर पुष्पांजलि अर्पित किया। आश्रम में उन्होंने ध्यान के साथ ही गंगा घाट पर आयोजित गंगा आरती में प्रतिभाग किया।
इस दौरान उन्होंने योग और वेदांत दर्शन को लेकर संतों से बातचीत भी की। रजनीकांत के आश्रम आगमन की जानकारी मिलते ही कई श्रद्धालु और स्थानीय लोग उन्हें देखने के लिए पहुंच गए। अभिनेता ने सादगी के साथ सभी का अभिवादन किया और किसी प्रकार की भीड़भाड़ से बचते हुए शांति से आश्रम दर्शन किया।
आश्रम में उन्होंने ध्यान के साथ ही गंगा घाट पर आयोजित गंगा आरती में प्रतिभाग किया। रविवार सुबह वह द्वाराहाट के लिए रवाना हुए, जहां उन्होंने महा अवतार बाबा की गुफा के दर्शन किए।
दयानंद आश्रम पहुंते बॉलीवुड अभिनेता रजनीकांत
आश्रम प्रबंधक गुणानंद रयाल ने बताया कि अभिनेता रजनीकांत शनिवार सुबह 11 बजे अपने दोस्तों के साथ आश्रम में पहुंचे। उन्होंने स्वामी शुद्धानंद सरस्वती से मुलाकात कर उनका आशीर्वाद लिया। वहीं से पंतनगर होते हुए दिल्ली के लिए रवाना होंगे।
रजनीकांत अक्सर आध्यात्मिक स्थलों की यात्रा करते रहते हैं, और भारतीय संस्कृति व सनातन परंपरा से गहरा जुड़ाव रखते हैं।
रजनीकांत का जन्म 12 दिसंबर 1950 को बेंगलुरु के एक मराठी परिवार में हुआ था। वह बहुत संपन्न परिवार से नहीं थे। रजनी का असली नाम शिवाजी राव गायकवाड़ है। जीजाबाई और रामोजी राव की चार संतानों में शिवाजी सबसे छोटे थे। इनकी स्कूलिंग बेंगलुरु में हुई।
महज चार साल की उम्र में ही रजनीकांत ने अपनी मां को खो दिया था। घर की माली हालत बहुत अच्छी नहीं थी। इसलिए इन्होंने सब तरह के काम किए। रजनीकांत कुली से लेकर बस कंडक्टर जैसे काम कर चुके हैं। बस में अपने टिकट काटने के अनोखे अंदाज की वजह से ये बस ड्राइवर्स और कंडक्टर्स के बीच बहुत पॉपुलर हुआ करते थे।
एक्टर बनने का सपना पूरा करने में रजनीकांत के दोस्त राज बहादुर में बहुत मदद की। इसी वजह से हाल ही में दादा साहब फाल्के अवॉर्ड लेते वक्त भी रजनीकांत ने अपने दोस्त राज बहादुर को याद किया और धन्यवाद कहा।
राज बहादुर ने ही रजनीकांत को मद्रास फिल्म इंस्टीट्यूट में दाखिला लेने के लिए के लिए मोटिवेट किया। रजनीकांत के लिए ऐसा कर पाना आसान नहीं था। तब ये और कुछ और दोस्त उनकी मदद के लिए आगे आए, जो उनकी ही तरह बस कंडक्टर थे। एक्टिंग सीखने के दौरान ही इन्होंने तमिल भी सीखी।