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रामनगर में प्रतिबंधित मांस पकड़े जाने के बाद उग्र विवाद। हिंदूवादी संगठनों ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा। पुलिस कार्रवाई पर सवाल और मुकदमे वापस न होने पर आंदोलन की चेतावनी। यहां जानिये पूरा मामला और आगामी कदम
रामनगर मांस विवाद
Nainital: 23 अक्टूबर को ग्राम छोई एवं बैलपड़ाब क्षेत्र में दो अलग-अलग पिकअप वाहनों में प्रतिबंधित मांस पकड़े जाने के बाद विवाद ने तूल पकड़ लिया। स्थानीय हिंदूवादी संगठनों के लोगों ने इस घटना को लेकर नाराजगी जताई और वाहनों में तोड़फोड़ करने के साथ-साथ चालकों के साथ मारपीट की।
इस मामले में कालाढूंगी और रामनगर पुलिस द्वारा अलग-अलग मुकदमे दर्ज किए गए। हालांकि, पुलिस की कार्रवाई पर कार्यकर्ताओं ने सवाल उठाया और आरोप लगाया कि जिन लोगों पर मुकदमे दर्ज किए गए, वे मौके पर उपस्थित नहीं थे।
विश्व हिंदू परिषद (VHP) के गौ रक्षा विभाग के प्रांत मंत्री यशपाल राजहंस के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को एसडीएम के माध्यम से प्रदेश के मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा। ज्ञापन में उन्होंने कहा कि पुलिस ने जिन कार्यकर्ताओं के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए हैं, वे दिन मौके पर मौजूद नहीं थे।
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राजहंस ने पुलिस पर दबाव में आकर कार्रवाई करने का आरोप लगाया और चेतावनी दी कि अगर मुकदमे वापस नहीं लिए गए तो उग्र आंदोलन किया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने रामनगर के बाजार को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने की धमकी भी दी।
इसी बीच, भारतीय बजरंग दल (BJP) के प्रदेश अध्यक्ष विवेक मिश्रा के नेतृत्व में संगठन के दर्जनों कार्यकर्ताओं ने सीओ सुमित पांडे के माध्यम से प्रदेश के मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा। मिश्रा ने कहा कि संगठन उन लोगों के खिलाफ हमेशा विरोध करेगा जो देवभूमि उत्तराखंड एवं रामनगर के स्वरूप को बिगाड़ने का प्रयास करेंगे।
रामनगर में पकड़े गए प्रतिबंधित मांस को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। हिंदूवादी संगठनों ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर निष्पक्ष जांच की मांग की। पुलिस कार्रवाई पर उठे सवाल और उग्र आंदोलन की चेतावनी।#Ramnagar #MeatControversy #Protest #FairInvestigation pic.twitter.com/fFUgidflje
— डाइनामाइट न्यूज़ हिंदी (@DNHindi) October 28, 2025
उन्होंने स्पष्ट किया कि जिहादियों और उन्हें संरक्षण देने वाले लोगों के खिलाफ संगठन सख्त कार्रवाई करेगा। मिश्रा ने यह भी कहा कि पुलिस द्वारा शिकायत दर्ज कराए गए कार्यकर्ताओं को अपराधी बनाना स्वीकार्य नहीं है।
रामनगर के स्थानीय हिंदूवादी संगठनों ने पुलिस की कार्रवाई को गलत करार देते हुए कहा कि उनकी लिखित शिकायतों के बावजूद उन पर गंभीर धाराओं में मुकदमे दर्ज किए गए। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर मामलों में निष्पक्ष जांच नहीं हुई और मुकदमे वापस नहीं लिए गए, तो आंदोलन और प्रदर्शन तेज किए जाएंगे।
इस दौरान स्थानीय व्यापारियों और जनता में भी मामले को लेकर चिंता देखी गई। व्यापारियों का कहना है कि अगर बाजार बंद हुआ तो आर्थिक नुकसान होगा, लेकिन कार्यकर्ता इसे रामनगर की संस्कृति और सुरक्षा के लिए जरूरी मान रहे हैं।

कालाढूंगी और रामनगर पुलिस ने अब तक दर्ज मामलों के संदर्भ में कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है। हालांकि, पुलिस सूत्रों के अनुसार मामले की जांच जारी है और उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मामलों में संतुलित दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है, ताकि कानून की रक्षा भी हो और सामाजिक शांति भी बनी रहे।
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दोनों संगठनों ने मुख्यमंत्री से निष्पक्ष जांच की मांग की है। उनका कहना है कि केवल दबाव में कार्रवाई करने से जनता और कार्यकर्ताओं के बीच असंतोष बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि न्याय और कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए सरकार को सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।
इस विवाद ने रामनगर में सामाजिक और राजनीतिक माहौल को गर्मा दिया है। हिंदूवादी संगठनों की चेतावनी और पुलिस के खिलाफ आरोप ने मामले को और संवेदनशील बना दिया है।
रामनगर के स्थानीय प्रशासन ने फिलहाल शांति बनाए रखने की अपील की है। हालांकि, यदि मुकदमे वापस नहीं किए गए और निष्पक्ष जांच नहीं हुई, तो कार्यकर्ताओं द्वारा उग्र आंदोलन की संभावना बनी हुई है। राजहंस और मिश्रा दोनों ने चेतावनी दी है कि उनकी मांगों को नजरअंदाज किया गया तो स्थानीय बाजार और सार्वजनिक स्थलों में बंद और विरोध प्रदर्शन होंगे।