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साहित्य जगत के मशहूर और प्रख्यात अंग्रेजी लेखक रस्किन बांड को स्वास्थ्य संबंधी परेशानी होने पर शनिवार को देहरादून स्थित मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हास्पिटल में भर्ती कराया गया। चिकित्सकों की देखरेख में उनका उपचार चल रहा है। रस्किन बांड के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की जा रही है।
रस्किन बॉन्ड अस्पताल में भर्ती
Mussoorie: अंग्रेजी के मशहूर लेखक रस्किन बॉन्ड को स्वास्थ्य संबंधी परेशानी होने पर शनिवार को देहरादून के एक निजी अस्पताल में भर्ती किया गया है। उनकी हालत फिलहाल खतरे से बाहर है और चिकित्सकों की देखरेख में वह स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। डॉक्टरों ने बताया कि यदि स्थिति सामान्य रही तो उन्हें सोमवार तक अस्पताल से छुट्टी मिल सकती है। रस्किन बांड के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की जा रही है।
रस्किन बांड के बेटे राकेश बांड ने बताया कि उनके पिता के बाएं पैर की नसें कमजोर हो गई हैं। साथ ही वजन अधिक होने के कारण चलने-फिरने में दिक्कत बढ़ गई। एहतियातन उन्हें 10 दिसंबर को अस्पताल में भर्ती कराया गया।
उन्होंने बताया कि पैर के अलावा उन्हें कोई अन्य स्वास्थ्य परेशानी नहीं है। सभी जरूरी जांच रिपोर्ट सामान्य हैं। राकेश बांड के अनुसार, रस्किन बांड को फिजियोथेरेपी और आवश्यक चिकित्सकीय देखरेख दी जा रही है। स्वास्थ्य में सुधार को देखते हुए रविवार या सोमवार तक अस्पताल से छुट्टी मिलने की संभावना है।
मसूरी को अपनी कर्मभूमि बनाने वाले रस्किन बांड की कहानियों में पहाड़, प्रकृति, बचपन की मासूमियत और मानवीय संवेदनाएं प्रमुख रूप से झलकती हैं। उनकी प्रमुख रचनाओं में ब्लू अंब्रेला, ए फ्लाइट आफ पिजन्स, एंग्री रिवर, टाइम स्टाप्स ऐट शामली और ग्रैंडफादरज प्राइवेट जू शामिल हैं। उनकी कई कहानियों पर फिल्में और टीवी धारावाहिक भी बन चुके हैं।
रस्किन को साहित्य के क्षेत्र में उनके अतुलनीय योगदान के लिए पद्मश्री और बाद में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया। इसके अलावा उन्हें अनेक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुके हैं। आज भी वे युवाओं और बच्चों के बीच उतने ही लोकप्रिय हैं जितने वह दशकों पहले थे।
रस्किन बांड भारतीय साहित्य की उन विरल शख्सियतों में शामिल हैं, जिन्होंने बच्चों और युवाओं को पढ़ने से जोड़ने का काम किया। उनका जन्म 19 मई-1934 को कसौली (हिमाचल प्रदेश) में हुआ था।
उन्होंने बहुत कम उम्र में लेखन शुरू किया और 17 वर्ष की आयु में अपना पहला उपन्यास 'द रूम आन द रूफ' लिखा, जिसे साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार, पद्म भूषण, जॉन लेवेलिन राइस पुरस्कार और पद्म श्री सहित कई पुरस्कार प्राप्त हुए हैं।
उन्होंने अनगिनत दिल को छू लेने वाली लघु कहानियां लिखी हैं, जिनमें "द नाइट ट्रेन एट देवली", "टाइम स्टॉप्स एट शामली" और "दिल्ली इज नॉट फार" शामिल हैं। उनकी कविताएँ और निबंध, जैसे "पहाड़ों में बारिश" और "साधारण जीवन की एक किताब", ने भी उन्हें वैश्विक पहचान दिलाई है।
19 मई, 1934 को हिमाचल प्रदेश के कसौली में जन्मे रस्किन बॉन्ड अपनी मनमोहक कहानियों के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने कई दशकों में उपन्यास, लघु कथाएँ, निबंध और बच्चों की किताबें लिखी हैं। उनकी रचनाओं में अक्सर पहाड़ों में बिताए उनके शुरुआती वर्षों के शांत परिदृश्य झलकते हैं।
91 वर्षीय रस्किन बॉन्ड ने अपने प्यारे किरदारों से हर उम्र के पाठकों को मंत्रमुग्ध कर दिया है। उनकी लेखन शैली सरल, भावुक और गहरी छाप छोड़ने वाली है।