

रुद्रप्रयाग के छेनागाड़ में 28 अगस्त को आई भीषण आपदा के एक महीने बाद भी हालात सामान्य नहीं हो सके हैं। अब तक 10 लोग लापता हैं, जिनका कोई सुराग नहीं मिला। भारी मलबा और तबाही के बीच आज मुश्किल से छोड़ी गाड़ियों का रास्ता खोला जा सका है।
रुद्रप्रयाग छेनागाड़ आपदा में बड़ा अपडेट
Rudraprayag: उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जनपद के जखोली विकासखंड के छेनागाड़ और जालतामण क्षेत्र में 28 अगस्त को आई भीषण आपदा ने पूरे क्षेत्र को झकझोर दिया। इस आपदा में कई गांव बुरी तरह प्रभावित हुए, सड़कों, घरों और खेतों को व्यापक नुकसान पहुंचा। आज भी उस तबाही के निशान गांव की दीवारों, टूटी सड़कों और लोगों के चेहरों पर साफ देखे जा सकते हैं।
आपदा के एक महीने बाद भी छेनागाड़ में 10 लोग लापता हैं, जिनका अब तक कोई सुराग नहीं मिला है। लगातार एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और आपदा प्रबंधन की टीमें मलबा हटाने और लापता लोगों की तलाश में जुटी हुई हैं, लेकिन सफलता अब तक हाथ नहीं लगी है।
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पहली बार 21 अगस्त को छोड़ी गाड़ियों को निकालने का प्रयास किया गया, लेकिन रास्ते की स्थिति इतनी खराब थी कि वह भी रुक गया। इसके बाद भी लगातार प्रयास होते रहे, लेकिन रास्ता खुल नहीं सका। आज, लगभग एक महीने के बाद, बड़ी मशक्कत के बाद छोड़ी गई गाड़ियों के लिए रास्ता खोला जा सका है, जिससे स्थानीय लोगों को थोड़ी राहत मिली है।
छेनागाड़ और आसपास के गांवों में जनजीवन अभी भी पूरी तरह पटरी पर नहीं लौटा है। कई लोग अब भी अस्थायी आश्रयों में रह रहे हैं। मकानों की हालत जर्जर है, और खेतों में अब भी मलबा पड़ा है। लोगों को राशन, पानी और दवाइयों जैसी मूलभूत सुविधाएं समय से नहीं मिल पा रही हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकारी सहायता और पुनर्वास कार्य बेहद धीमा है। यदि समय पर मशीनें और संसाधन भेजे जाते, तो सड़क और अन्य राहत कार्य पहले ही पूरे हो सकते थे।
आज छोड़ी गाड़ियों का रास्ता खुलना एक छोटी लेकिन अहम सफलता है। हालांकि, छेनागाड़ के निवासियों के लिए असली राहत तब आएगी जब पूरा संपर्क मार्ग सुचारु रूप से चालू होगा और लापता लोगों का कोई पता चलेगा। अभी भी शासन और प्रशासन से सक्रिय और तेज़ राहत कार्य की आवश्यकता है।