हरिद्वार RTO में दलालों की मनमानी पर कसा शिकंजा, निखिल शर्मा की मुहिम से बिचौलियों में मचा हड़कंप

हरिद्वार आरटीओ कार्यालय में अब दलालों का सिलसिला समाप्त हो गया है और आम जनता के लिए खुल चुका है। कैसे, पूरी खबर के लिए पढ़ें डाइनामाइट न्यूज़ की ये रिपोर्ट

Post Published By: Tanya Chand
Updated : 19 June 2025, 10:46 AM IST
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हरिद्वार: उत्तराखंड का हरिद्वार आरटीओ कार्यालय जो कभी दलालों की गिरफ्त में दिखाई देता था, अब वह आम जनता की सुविधा और पारदर्शिता का केंद्र बना हुआ है। बता दें कि इस बदलाव का पूरा श्रेय उपसंभागीय परिवहन अधिकारी निखिल शर्मा को जाता है, जिन्होंने दलाल राज को जड़ से उखाड़ फेंका और खुद ने इस पद की कमान संभाल ली है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता को मिली जानकारी के मुताबिक शर्मा जी की अगुवाई में आरटीओ में एक विशेष सख्ती अभियान चलाया गया है। जहां अब कार्यालय परिसर में बाहर बैठकर फर्जी तरीके से काम कराने वाले कथित एजेंट पूरी तरह गायब हैं। उनकी जगह अब गेट पर नए लोग तैनात किए गए हैं, जो हर आने-जाने वाले व्यक्ति पर नजर रख रहे हैं और उनसे पूछताछ कर रहे हैं। जैसे कि किस काम से आए हैं? फॉर्म भरा है? कोई मदद चाहिए? अन्य सवाल।

कार्यालय में हो रहा है अब ये काम
बता दें कि अब कार्यालय में प्रवेश से पहले ही हर शख्स की निगरानी की जा रही है। नतीजा यह हुआ है कि जिन गलियारों में पहले दलालों की गूंज होती थी, वहां अब शांति और व्यवस्था का माहौल है। लोगों को सीधे सरकारी प्रक्रिया के जरिए काम कराने की सुविधा मिल रही है। वो भी बिना रिश्वत, बिना सिफारिश और बिना चक्कर लगाए।

इस मुहिम से दलालों की कमाई पर लगा ब्रेक
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस मुहिम से दलालों की कमाई पर तो ब्रेक लगा ही है, लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि अब आम आदमी को लगता है कि आरटीओ सिर्फ बड़े लोगों का नहीं, बल्कि उनका अपना दफ्तर है।

सोशल मीडिया पर हो रही है खूब चर्चा
निखिल शर्मा की यह कार्रवाई न सिर्फ एक प्रशासनिक पहल है, बल्कि सिस्टम को ईमानदार और जवाबदेह बनाने की दिशा में एक साहसी कदम भी है। लोग अब सोशल मीडिया पर भी इस बदलाव की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं। कुछ ने तो यहां तक कह दिया कि पहली बार बिना जान-पहचान के हमारा काम पहले ही दिन हो गया!

आरटीओ कार्यालय बना मिसाल
हरिद्वार आरटीओ अब बदलाव की मिसाल बन चुका है और इसकी अगुवाई कर रहे हैं वो अफसर, जो व्यवस्था में जनता की हिस्सेदारी को प्राथमिकता दे रहे हैं। वह भी अब तारीफे करके थक नहीं रहे हैं।

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