Harela Festival: हरेला पर पिथौरागढ़ के प्रसिद्ध खंडेनाथ मंदिर में हुआ खास आयोजन, जानिये हरियाली और आस्था के पर्व का महत्व

उत्तराखंड की सांस्कृतिक परंपराओं में गहराई से रचा-बसा हरियाली और आस्था के पावन पर्व हरेला का देवभूमि उत्तराखंड में खास महत्व है।

Post Published By: Deepika Tiwari
Updated : 16 July 2025, 8:03 PM IST
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पिथौरागढ़: उत्तराखंड की सांस्कृतिक परंपराओं में गहराई से रचा-बसा हरियाली और आस्था के पावन पर्व हरेला का देवभूमि उत्तराखंड में खास महत्व है। बुधवार को समूचे उत्तराखंड में हरेला की खास धूम रही और कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। उत्तराखंड की सांस्कृतिक परंपराओं में गहराई से रचा-बसा हरेला पर्व आज पूरे उल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया गया। यह पर्व वर्षा ऋतु के आगमन और प्रकृति की हरियाली के स्वागत का प्रतीक है।

डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के मुताबिक, आज के दिन को श्रावण मास के पहले दिन के रूप में भी मान्यता प्राप्त है, जिसे उत्तराखंड में शुभ और पवित्र माना जाता है।

भजन-कीर्तन और स्थानीय लोकगीतों की मधुर

जानकारी के मुताबिक, पिथौरागढ़ जनपद के सिरकुच्च में प्रसिद्ध खंडेनाथ मंदिर तथा मजिरकाण्डा गांव स्थित मनमहेश स्वामी में आज श्रद्धालुओं ने विशेष पूजा-अर्चना की। देवालयों में सुबह से भक्तों का ताँता लगा रहा भजन-कीर्तन और स्थानीय लोकगीतों की मधुर स्वर लहरियों, खेल से वातावरण गूंज उठा।

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सामूहिक आस्था और सांस्कृतिक पहचान का भी प्रतीक

हरेला पर्व केवल कृषि और प्रकृति से जुड़ा पर्व ही नहीं, बल्कि सामूहिक आस्था और सांस्कृतिक पहचान का भी प्रतीक है। इस अवसर पर गांवों में लोग पारंपरिक वेशभूषा में सजधज कर एक-दूसरे को हरेला की शुभकामनाएं देते हुए प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करते हैं।

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कई कार्यक्रमों का आयोजन

हरेला पर्व केवल कृषि और प्रकृति से जुड़ा पर्व ही नहीं, बल्कि सामूहिक आस्था और सांस्कृतिक पहचान का भी प्रतीक है। इस अवसर पर गांवों में लोग पारंपरिक वेशभूषा में सजधज कर एक-दूसरे को हरेला की शुभकामनाएं देते हुए प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करते हैं। और कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। उत्तराखंड की सांस्कृतिक परंपराओं में गहराई से रचा-बसा हरेला पर्व आज पूरे उल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया गया। यह पर्व वर्षा ऋतु के आगमन और प्रकृति की हरियाली के स्वागत का प्रतीक है।

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