Uttarakhand News: नैनीताल आज भी संजोए बैठा है धर्मेंद्र की ‘हुकूमत’ शूटिंग का वो यादगार फिल्मी दौर

नैनीताल की वादियों में आज भी धर्मेंद्र की हुकूमत की यादें जिंदा हैं। 1984 में हुए शूटिंग दौर ने शहर को ऐसी पहचान दी जिसे लोग आज भी गर्व से बताते हैं। धर्मेंद्र की सादगी, स्थानीय लोगों से उनका अपनापन और नैनीताल की खूबसूरती पर फिल्माए गए दृश्य आज भी इस शहर की हवा में महसूस होते हैं।

Nainital: उत्तराखंड के नैनीताल की गलियों में घूमते हुए कई बार ऐसा महसूस होता है कि यह शहर सिर्फ झीलों, पहाड़ों और ठंडी हवा तक सीमित नहीं है। यहां की हवा में एक पुरानी गर्माहट, एक भावनात्मक छुअन और यादों की ख़ामोश महक घुली है। जब भी शाम झील के किनारे ढलती है, माल रोड की रोशनी झिलमिलाती है, कई लोगों को अनायास ही एक चेहरा याद आता है धर्मेंद्र का।

शहर में रचा-बसा एक सितारा

कहते हैं कि किसी सितारे की लोकप्रियता सिर्फ पर्दे पर चमककर नहीं बनती, बल्कि वह उन गलियों, उन चाय की दुकानों और उन लोगों में बस जाती है जहां उसने वक्त बिताया हो। नैनीताल की पहाड़ियों में धर्मेंद्र की यही छाप आज भी महसूस होती है। पुराने रिक्शाचालक, दुकानदार और स्थानीय बुजुर्ग अब भी मुस्कुराते हुए बताते हैं कि धर्मेंद्र सुबह-सुबह झील किनारे टहलने निकलते थे और सबसे पहले उन्हें नमस्ते करते थे।

फिल्म ‘हुकूमत’ ने नैनीताल की रफ्तार बदल दी

हुकूमत फिल्म की शूटिंग 1984 की सर्दियों में शुरू हुई थी और पूरे शहर का माहौल जैसे बदल गया था। फिल्म यूनिट ने नैनीताल क्लब में डेरा डाला था, और हर दिन यहां नई हलचल रहती थी। स्थानीय लोग बताते हैं कि शहर मानो कुछ हफ्तों के लिए फिल्म सेट बन गया था।

धर्मेंद्र को श्रद्धांजलि देते हुए पाकिस्तानी खिलाड़ी का बयान Viral, जानिए क्या कहा?

यूनिट के वाहनों की आवाजाही, सितारों की मौजूदगी, और लोगों की भीड़ यह सब मानो किसी त्योहार जैसा लगता था। हर ओर चर्चा बस एक चीज़ की होती थी “आज धर्मेंद्र आएंगे क्या?”

बॉलीवुड अभिनेता धर्मेंद्र (सोर्स- गूगल)

धर्मेंद्र बड़े सितारे, मगर बड़े दिल वाले इंसान

धर्मेंद्र की सबसे बड़ी खूबी यह थी कि वह इतने बड़े स्टार होने के बाद भी बेहद सरल और सहज थे। जैसे ही डायरेक्टर "कट" कहते, धर्मेंद्र पास खड़े लोगों के बीच मुस्कुराते हुए चले जाते। बच्चे हों या बुजुर्ग हर किसी को समय देते। कई दुकानदार आज भी गर्व से बताते हैं कि धर्मेंद्र ने उनकी दुकान पर बैठकर चाय पी, बातें कीं और हंसे भी। ऑटोग्राफ देने में उन्हें कभी झिझक नहीं होती।

नैनीताल को मिला नया ‘शांतिनगर’

फिल्म में दिखाया गया "शांतिनगर" वास्तव में नैनीताल ही था। हर फ्रेम में शहर की सुंदरता और जिंदगी को नई पहचान मिली। झील पर उठती धुंध, मल्लीताल फ्लैट्स की चहल-पहल, माल रोड की भीड़ और भवाली-भीमताल की ढलानों पर दौड़ती शूटिंग यूनिट लोगों के लिए रोमांचकारी अनुभव था।

एक डायलॉग, जो आज भी गूंजता है

स्थानीय बुजुर्ग बताते हैं कि धर्मेंद्र के एक संवाद की गूंज आज भी यादों में ताजा है। “मैं शांति नगर के लोगों के दिलों से डर मिटाने आया हूं।”यह डायलॉग न सिर्फ फिल्म का हिस्सा था, बल्कि शहर की हवा में घुल चुकी एक याद भी बन गया।

Uttarakhand News: नैनीताल में बाबा के भेष में युवक, पुलिस ने लिया ये एक्शन

नैनीताल ने सिर्फ शूटिंग नहीं देखी

धर्मेंद्र की मौजूदगी के वे दिन सिर्फ फिल्म की शूटिंग भर नहीं थे। वह एक ऐसा दौर था जिसने नैनीताल को नई पहचान दी, लोगों को नई यादें दीं और शहर को एक अद्भुत अनुभव दिया। आज भी जब ठंडी हवा झील की सतह को छूती है, तो ऐसा लगता है कि कहीं न कहीं धर्मेंद्र की वही गर्मजोशी अब भी इस शहर में सांस ले रही है।

Location : 
  • Nainital

Published : 
  • 25 November 2025, 6:27 PM IST