श्रवण मास में श्रद्धा और रहस्य का संगम: पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर में उमड़े शिवभक्त

पिथौरागढ़ स्थित पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर श्रवण मास में शिवभक्तों के लिए आस्था का केंद्र बन गया है। रहस्यमयी गुफा में शिवलिंग का जलाभिषेक कर रहे हैं हजारों श्रद्धालु। पढ़ें पूरी खबर

Post Published By: Tanya Chand
Updated : 14 July 2025, 9:06 AM IST
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Dehradun: उत्तराखंड राज्य के कुमाऊं मंडल में स्थित पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर श्रवण मास में शिव भक्तों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बन जाता है। समुद्र तल से करीब 1350 मीटर की ऊंचाई पर पिथौरागढ़ जनपद के गंगोलीहाट कस्बे के समीप यह गुफा हजारों वर्षों से अपनी रहस्यमयी संरचना और पौराणिक मान्यताओं के कारण भक्तों और पर्यटकों को आकर्षित कर रही है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार पौराणिक मान्यता है कि पाताल भुवनेश्वर में स्वयं भगवान शिव अपनी गुप्त लीलाओं के साथ निवास करते हैं। स्कंद पुराण में वर्णित कथा के अनुसार त्रेता युग में राजा ऋतुर्पर्ण ने पहली बार इस गुफा के दर्शन किए थे।

कहा जाता है कि यहां भगवान शेषनाग ने पाताल लोक के द्वार खोले और इसी गुफा में चारों धामों के प्रतीक स्वरूप दर्शन होते हैं। शिवलिंग के अलावा इस गुफा में अनेक देवी-देवताओं की प्राकृतिक आकृतियां चट्टानों पर उकेरी हुई मिलती हैं, जो चमत्कारी रूप से सदियों से वैसे की वैसी ही बनी हुई हैं।

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श्रवण मास में हजारों शिवभक्त दूर-दूर से यहां पहुंचकर गुफा में बने प्राकृतिक शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं। मान्यता है कि इस पवित्र गुफा के दर्शन मात्र से ही व्यक्ति को समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। यही कारण है कि कांवड़ यात्रा की तरह ही कई श्रद्धालु श्रवण मास में यहां जल लेकर भगवान भोलेनाथ का अभिषेक करते हैं।

पाताल भुवनेश्वर की गुफा में प्रवेश करने पर भक्तों को ऐसा प्रतीत होता है मानो वे पाताल लोक में उतर रहे हों। गुफा की लंबाई करीब 160 मीटर और गहराई 90 फीट बताई जाती है। अंदर जाने के लिए संकरी और फिसलन भरी सीढ़ियां हैं, जो अपने आप में एक रोमांचक अनुभव देती हैं। गुफा के भीतर जगह-जगह जलकुंड और चूना-पत्थर से बनी आकृतियां अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करती हैं।

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स्थानीय प्रशासन श्रवण मास में भक्तों की सुविधा के लिए विशेष व्यवस्थाएं करता है। बिजली, सुरक्षा और मार्गदर्शन के पुख्ता इंतजाम किए जाते हैं ताकि भक्तजन बिना किसी बाधा के दर्शन कर सकें। पाताल भुवनेश्वर आज भी अपने भीतर हजारों रहस्य समेटे हुए है और श्रद्धालुओं के लिए आस्था का एक अपूर्व केंद्र बना हुआ है।

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