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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक बार फिर अपने संवेदनशील और मानवीय नेतृत्व का परिचय देते हुए शनिवार को देहरादून के सीएमआई हॉस्पिटल का दौरा किया। यहाँ उन्होंने उत्तराखंड के पूर्व विधायक देशराज कर्णवाल की बीमार माताजी से मुलाकात कर उनका हाल-चाल जाना।
पूर्व विधायक देशराज कर्णवाल की माता जी के स्वास्थ्य की ली जानकारी
Haridwar: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक बार फिर अपने संवेदनशील और मानवीय नेतृत्व का परिचय देते हुए शनिवार को देहरादून के सीएमआई हॉस्पिटल का दौरा किया। यहाँ उन्होंने उत्तराखंड के पूर्व विधायक देशराज कर्णवाल की बीमार माताजी से मुलाकात कर उनका हाल-चाल जाना। श्री कर्णवाल की माताजी कुछ समय से अस्वस्थ चल रही हैं और स्वास्थ्य समस्याओं के चलते उन्हें अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती कराया गया है।
मुख्यमंत्री धामी ने अस्पताल पहुँचकर सबसे पहले चिकित्सकों एवं हॉस्पिटल प्रशासन से उनकी पूरी स्वास्थ्य स्थिति के बारे में विस्तृत जानकारी ली। उन्होंने डॉक्टरों को निर्देश दिए कि उनके उपचार में किसी भी प्रकार की कमी नहीं रहनी चाहिए और उन्हें सर्वोत्तम चिकित्सकीय सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएँ। उन्होंने अस्पताल प्रबंधन को स्पष्ट कहा कि मरीज वरिष्ठ नागरिक हैं, इसलिए उनकी देखभाल में विशेष ध्यान दिया जाए।
मुख्यमंत्री ने बातचीत के दौरान कहा कि राज्य सरकार वरिष्ठ नागरिकों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को सबसे अधिक प्राथमिकता देती है। सरकार लगातार ऐसे कदम उठा रही है जिससे बुजुर्गों को बेहतर उपचार, त्वरित स्वास्थ्य सेवाएँ और हर स्तर पर सहायता प्राप्त हो सके। उन्होंने कहा कि सरकार की नीतियाँ लोगों के जीवन को सहज और सुरक्षित बनाने के उद्देश्य पर आधारित हैं और जरूरत के हर चरण में सहायता उपलब्ध कराना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है।
इसके बाद मुख्यमंत्री धामी ने पूर्व विधायक देशराज कर्णवाल तथा उनके परिवारजनों से मुलाकात की। उन्होंने परिवार को धैर्य बनाए रखने का आग्रह किया और भरोसा दिलाया कि सरकार और प्रशासन हरसंभव सहयोग प्रदान करेंगे। मुख्यमंत्री ने श्री कर्णवाल की माताजी के शीघ्र स्वस्थ होने की ईश्वर से कामना भी की।
सीएम धामी की यह पहल न केवल उनके जनसेवा भाव को दर्शाती है, बल्कि यह भी साबित करती है कि वे राज्य के प्रत्येक नागरिक और जनप्रतिनिधि के सुख-दुःख में बराबर के सहभागी हैं। उनके इस संवेदनशील कदम की क्षेत्र में सराहना की जा रही है तथा लोग इसे उत्तराखंड की संवेदनशील और जनहितकारी शासन व्यवस्था का उदाहरण मान रहे हैं।