

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में 1962 मोबाइल वेटरनरी यूनिट पशुपालकों के लिए वरदान साबित हो रही है। यह यूनिट गांव-गांव जाकर पशुओं का इलाज करती है। अब तक 13,500 से अधिक पशुओं को मुफ्त इलाज मिल चुका है।
1962 मोबाइल वेटरनरी यूनिट
Rudraprayag: उत्तराखंड के दूरस्थ पहाड़ी इलाकों में जहां इंसानी इलाज तक पहुंच पाना मुश्किल होता है, वहीं अब पशुओं के लिए चल रही 1962 मोबाइल वेटरनरी यूनिट ग्रामीण पशुपालकों के लिए जीवनदायिनी सेवा बन गई है। ईएमआरआई ग्रीन हेल्थ सर्विस के तहत शुरू की गई यह सेवा पशुपालकों को न केवल मुफ्त इलाज दे रही है, बल्कि दवाएं भी मौके पर उपलब्ध करवा रही है।
प्रदेश के सभी 13 जनपदों में संचालित ये मोबाइल यूनिट्स आज ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालन को सुरक्षित, सुलभ और वैज्ञानिक आधार दे रही हैं। खासकर रुद्रप्रयाग जिले के तीन प्रमुख विकासखंडों अगस्त्यमुनि, ऊखीमठ और जखोली में इस सेवा की जबरदस्त सराहना हो रही है।
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पशुपालकों के लिए यह सेवा बेहद सरल और सुलभ है। केवल 1962 पर कॉल करने पर मोबाइल वेटरनरी यूनिट की टीम गांव तक पहुंचती है। वेटरनरी डॉक्टर, फार्मासिस्ट और सहायकों की टीम बीमार पशुओं का तुरंत इलाज करती है और ज़रूरत अनुसार दवाएं भी देती है। यह सेवा पूरी तरह से निशुल्क है, जिससे ग्रामीण इलाकों में रहने वाले आर्थिक रूप से कमजोर पशुपालकों को बड़ी राहत मिली है।
जिला प्रभारी ने बताया कि रुद्रप्रयाग में अब तक 13,556 से अधिक पशुओं का उपचार बिना किसी शुल्क के किया गया है। यह यूनिट न केवल बीमार पशुओं का इलाज करती है, बल्कि पशुपालकों को बीमारी की पहचान, रोकथाम और पोषण संबंधी जानकारी देकर उन्हें जागरूक भी करती है।
गांव-गांव पहुंच रही इस सेवा ने पशुपालन को और भी सशक्त बनाया है। कई ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां पशु चिकित्सालय तक पहुंचना संभव नहीं होता था, वहां इस सेवा ने लोगों के विश्वास को जीत लिया है।
गढ़वाल प्रभारी मनमोहन सिंह ने हाल ही में रुद्रप्रयाग के अपर जिलाधिकारी से मुलाकात कर 1962 सेवा की विस्तार से जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि मोबाइल वेटरनरी यूनिट्स को स्थानीय प्रशासन और ग्रामीणों से बेहद सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है।
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विधायकों, जनप्रतिनिधियों और जिला अधिकारियों ने भी इस सेवा की खुले दिल से सराहना की है और इसे और अधिक गांवों तक विस्तारित करने की योजना पर विचार चल रहा है।