कोडीन सिरप तस्करी में नया मोड़: ट्रांसपोर्ट नेटवर्क पर गिरी SIT की नजर, पढ़ें पूरी खबर

कोडीनयुक्त कफ सिरप तस्करी केस में अब ट्रांसपोर्ट नेटवर्क जांच के घेरे में है। रांची से वाराणसी तक भेजे गए माल के 60 से अधिक ई-वे बिल फर्जी पाए गए हैं। माल तो आया, लेकिन आगे कहां गया इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है।

Post Published By: Tanya Chand
Updated : 18 December 2025, 8:57 AM IST
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Varanasi: कोडीनयुक्त कफ सिरप की अंतरराज्यीय तस्करी के मामले में जांच अब नए और अहम मोड़ पर पहुंच गई है। एसआईटी की तफ्तीश में सामने आया है कि इस पूरे नेटवर्क की रीढ़ ट्रांसपोर्ट सिस्टम रहा है, जिसके जरिए करोड़ों रुपये का प्रतिबंधित सिरप रांची से वाराणसी, चंदौली और पूर्वांचल के अन्य जिलों में भेजे जाने के नाम पर गायब कर दिया गया।

रांची से वाराणसी तक फैला सप्लाई चेन का जाल

जांच के अनुसार, इस तस्करी का सरगना शुभम जायसवाल बताया जा रहा है, जबकि उसके पिता भोला जायसवाल की रांची स्थित फर्म शैली ट्रेडर्स से बड़े पैमाने पर कोडीनयुक्त कफ सिरप की सप्लाई दिखाई गई। रिकॉर्ड में माल चंदौली, वाराणसी, मिर्जापुर, सोनभद्र जैसे जिलों के लिए भेजा गया, लेकिन जमीनी हकीकत इससे अलग निकली।

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60 से 70 ई-वे बिल, आधे से ज्यादा फर्जी

एसआईटी को अब तक 60 से 70 ऐसे ई-वे बिल मिले हैं, जिनके जरिए माल की ढुलाई दिखाई गई है। जांच में सामने आया कि इनमें से आधे से अधिक ई-वे बिल पूरी तरह फर्जी हैं। जिन वाहनों से माल भेजे जाने का दावा किया गया, उनमें से कई वाहन उस तारीख पर उस रूट पर थे ही नहीं।

कोडीन तस्करी (सोर्स- गूगल)

जिन मामलों में माल वास्तव में वाराणसी और आसपास के जिलों में पहुंचा भी, वहां से आगे उसकी कोई वैध ट्रेसिंग नहीं मिल रही है। न तो गोदामों में स्टॉक मिला और न ही मेडिकल सप्लाई से जुड़े कोई दस्तावेज। इससे आशंका है कि माल को सीमा पार, विशेष रूप से बांग्लादेश समेत अन्य जगहों पर तस्करी कर भेजा गया।

ट्रांसपोर्टर अब SIT के निशाने पर

इस नए एंगल के सामने आने के बाद रांची और वाराणसी के कई ट्रांसपोर्टरों को चिन्हित किया गया है। एसआईटी ने उन ट्रांसपोर्ट एजेंसियों की सूची तैयार की है, जिनके वाहनों का बार-बार इस्तेमाल किया गया। अब इन ट्रांसपोर्टरों को तलब कर पूछताछ की जा रही है कि माल कहां उतरा, किसने रिसीव किया और आगे कैसे भेजा गया।

जांच में और खुलासों की संभावना

सूत्रों के अनुसार, ट्रांसपोर्टरों की भूमिका केवल लापरवाही तक सीमित नहीं हो सकती। कुछ मामलों में मिलीभगत की आशंका भी जताई जा रही है। एसआईटी अब GPS डेटा, टोल प्लाजा रिकॉर्ड और कॉल डिटेल्स के जरिए पूरे नेटवर्क को खंगाल रही है।

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तस्करी नेटवर्क की परतें खुलने की तैयारी

अधिकारियों का मानना है कि जैसे-जैसे ट्रांसपोर्ट और ई-वे बिल नेटवर्क की परतें खुलेंगी, इस तस्करी में शामिल बड़े नाम सामने आ सकते हैं। आने वाले दिनों में इस केस में और गिरफ्तारियां होने की संभावना जताई जा रही है।

Location : 
  • Varanasi

Published : 
  • 18 December 2025, 8:57 AM IST