

उत्तर प्रदेश के छोटे से गांव अगेहरा की निवासी पूजा पाल ने अपनी मेहनत और वैज्ञानिक सोच से एक धूल रहित थ्रेशर मशीन बनाई। जो किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है। इस मशीन ने उसे अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई और जापान में भारत का नाम रोशन किया। पूजा ने इसे केवल ₹3,000 में तैयार किया, बावजूद इसके कि उनका परिवार आर्थिक रूप से कमजोर था। इसके बाद सरकार ने उन्हें मदद का आश्वासन तो दिया, लेकिन उनके घर की बुनियादी समस्याएं अभी भी जस की तस बनी हुई हैं। पूजा की सफलता एक प्रेरणा है कि मुश्किलों के बावजूद भी अपने लक्ष्यों को हासिल किया जा सकता है।
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Lucknow News: भारत के छोटे से गांव अगेहरा की निवासी, पूजा पाल ने अपनी लगन और वैज्ञानिक सोच से न केवल अपने देश बल्कि पूरे विश्व में एक मिसाल कायम की है। सिरौलीगौसपुर तहसील के इस गांव से निकलकर पूजा ने जापान में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का नाम रोशन किया। उनकी उपलब्धि न सिर्फ उनके परिवार के लिए बल्कि समस्त देशवासियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई है।
धूल रहित थ्रेशर मशीन से किसानों के लिए वरदान
कक्षा 8 की छात्रा पूजा पाल ने एक ऐसे विज्ञान मॉडल का निर्माण किया, जो किसानों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है। यह मॉडल विशेष रूप से थ्रेशर मशीन से उड़ने वाली धूल की समस्या का समाधान करता है। पूजा ने देखा कि थ्रेशर मशीन से निकलने वाली धूल न सिर्फ वातावरण को प्रदूषित करती है बल्कि किसानों की सेहत के लिए भी खतरे का कारण बनती है। उन्होंने इस समस्या का हल निकाला और टीन और पंखे का उपयोग करते हुए एक ऐसा मॉडल तैयार किया। जिसमें धूल को एक थैले में इकट्ठा किया जा सकता है। यह मशीन न केवल पर्यावरण को सुरक्षित रखती है बल्कि किसानों की सेहत की सुरक्षा भी करती है।
एक गरीब परिवार की संघर्ष की कहानी
पूजा का परिवार बहुत ही साधारण था। उनके पिता पुत्तीलाल मजदूरी करते थे और मां सुनीला देवी एक सरकारी स्कूल में रसोईया की नौकरी करती थीं। पूजा पांच भाई-बहनों के साथ एक छोटे से छप्पर वाले घर में रहती थीं, जहां न बिजली थी, न शौचालय। इसके बावजूद पूजा ने अपनी मेहनत और समर्पण से अपने सपनों को पूरा किया। कभी चारा काटने से लेकर पशुओं की देखभाल तक पूजा ने हर जिम्मेदारी निभाई, लेकिन पढ़ाई के लिए समय निकालने में कभी पीछे नहीं हटी।
₹3,000 में बना विज्ञान मॉडल
पूजा ने अपने मॉडल को तैयार करने में ₹3,000 खर्च किए, जो उनके परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए एक बड़ी राशि थी। लेकिन इस छोटे से निवेश ने उन्हें बड़ा मुकाम दिलाया। पूजा का यह मॉडल केवल उनके गांव या देश में ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चित हुआ।
बुनियादी समस्याओं से वंचित परिवार
पूजा की सफलता के बाद सरकार ने उन्हें मदद का आश्वासन तो दिया लेकिन उनके घर की बुनियादी समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। एक तरफ पूजा जापान में भारत का नाम रोशन कर रही है, दूसरी ओर बारिश के मौसम में उसके घर की छत टपकती है और रात में पढ़ने के लिए स्थायी रोशनी का कोई साधन नहीं है। सरकारी मदद की जरूरत के बावजूद, पूजा का आत्मविश्वास और संघर्ष कम नहीं हुआ।