

आशा भोसले का जीवन एक ऐसी महिला की कहानी है जिसने संगीत, संघर्ष और आत्मबल से अपनी पहचान बनाई। घरेलू हिंसा और रिजेक्शन को पीछे छोड़कर वह स्वर की देवी बनीं। 92 की उम्र में भी उनकी आवाज उतनी ही मधुर और दमदार है।
स्वर कोकिला आशा भोसले
Mumbai: भारतीय संगीत जगत की शान, स्वर कोकिला आशा भोसले आज भी उतनी ही लोकप्रिय हैं, जितनी दशकों पहले थीं। मधुरता, विविधता और मेहनत की मिसाल बनीं आशा भोसले ने हर संगीत प्रेमी के दिल में खास जगह बनाई है। 92 साल की उम्र में भी वो न सिर्फ स्टेज पर गा रही हैं, बल्कि अपने हाथों से खाना बनाकर बच्चों और मेहमानों की आवभगत भी करती हैं। लेकिन इस चमकती दुनिया के पीछे छिपा है एक ऐसा दर्दनाक और प्रेरणादायक सफर, जिसे सुनकर हर किसी की आंखें नम हो जाएं। 12,000 से अधिक गाने गा चुकीं आशा भोसले ने अपने जीवन में जितना संगीत का रस पाया, उतनी ही तकलीफों की तपिश भी झेली। उनका जीवन एक सशक्त स्त्री की कहानी है, जो हर मोड़ पर टूटी लेकिन हर बार और भी मजबूत बनकर उभरी।
आशा भोसले का जन्म 8 सितंबर 1933 को गोवा के सांगली में हुआ। उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर मशहूर थिएटर आर्टिस्ट और क्लासिकल सिंगर थे। जब आशा महज 9 साल की थीं, तब उनके सिर से पिता का साया उठ गया। इसके बाद परिवार की जिम्मेदारी बड़ी बहन लता मंगेशकर के कंधों पर आ गई। इसी समय से दोनों बहनों ने गायन को ही जीवन का रास्ता चुना।
स्वर कोकिला आशा भोसले
1949 में, सिर्फ 16 साल की उम्र में आशा भोसले ने परिवार की इच्छा के खिलाफ जाकर लता मंगेशकर के सेक्रेटरी गणपतराव भोसले से शादी कर ली। यह रिश्ता उनके जीवन में सबसे बड़ा तूफान बनकर आया। लता मंगेशकर ने इस शादी से नाराज होकर बहन से रिश्ता तोड़ लिया। शादी के बाद आशा को घरेलू हिंसा, मानसिक प्रताड़ना और अपमान का सामना करना पड़ा। उन पर पति द्वारा हाथ उठाया गया, उन्हें परिवार से मिलने से रोका गया और आखिरकार जब वह अपने तीसरे बच्चे के साथ गर्भवती थीं, तो उन्हें घर से निकाल दिया गया। हालात इतने बुरे हो गए कि एक समय पर उन्होंने खुद की जान लेने की कोशिश भी की। लेकिन उनके अंदर की मां और कलाकार हार मानने को तैयार नहीं थे।
आशा भोसले के संघर्ष सिर्फ घर तक ही सीमित नहीं रहे। करियर की शुरुआत में उन्हें अपनी आवाज के कारण रिजेक्शन झेलना पड़ा। उन्होंने खुद बताया कि एक बार किशोर कुमार के साथ एक रिकॉर्डिंग के दौरान उन्हें "बेकार आवाज" बताकर स्टूडियो से निकाल दिया गया था। मगर उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी मेहनत से वो मुकाम हासिल किया जहां उनकी आवाज को सुनने के लिए पूरी दुनिया बेताब रहती है।
आशा भोसले ने हिंदी समेत 14 भाषाओं में गाने गाए हैं। चाहे क्लासिकल हो, ग़ज़ल हो, कैबरे हो या रोमांटिक हर शैली में उन्होंने अपनी एक अलग छाप छोड़ी। उन्होंने ओ.पी. नैयर, आर.डी. बर्मन, खय्याम, बप्पी लहरी जैसे महान संगीतकारों के साथ काम किया और 50 के दशक से लेकर 90 के दशक तक सिनेमा को अनगिनत सुपरहिट गाने दिए।
स्वर कोकिला आशा भोसले
1960 में गणपतराव से अलग होने के बाद आशा भोसले ने 1980 में प्रसिद्ध संगीतकार आर.डी. बर्मन से विवाह किया। दोनों की मुलाकात फिल्म "तीसरी मंजिल" के दौरान हुई थी। यह रिश्ता उनके जीवन का सुकून बनकर आया। हालांकि बर्मन की मां इस शादी के खिलाफ थीं, लेकिन समय ने दोनों को साथ ला दिया। इस रिश्ते में उन्हें न सिर्फ सच्चा प्रेम मिला, बल्कि संगीत के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों तक पहुंचने का मौका भी मिला।
आशा भोसले सिर्फ गायकी में ही नहीं, बल्कि खाना बनाने में भी माहिर हैं। उनके बनाए कढ़ाई गोश्त, शामी कबाब, बिरयानी और काली दाल के दीवाने कई बॉलीवुड सितारे रहे हैं। दिवंगत अभिनेता ऋषि कपूर उनके हाथ का खाना बहुत पसंद करते थे। उन्होंने दुबई में ‘Asha’s’ नाम से अपना पहला रेस्टोरेंट खोला, जो अब कुवैत, अबूधाबी, बहरीन और दोहा जैसे देशों में भी मौजूद है। आशा भोसले खुद शेफ्स को ट्रेनिंग देती हैं और खाने की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देती हैं।
अपने 90वें जन्मदिन पर भी उन्होंने दुबई में म्यूजिक कॉन्सर्ट किया और प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा “उम्र बढ़ती है, लेकिन दिल हमेशा जवान रहता है।” आज भी आशा भोसले घर पर बच्चों के लिए खुद खाना बनाती हैं और कभी हार न मानने की मिसाल बनी हुई हैं।