Meerut News: उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने एक बार फिर अपनी मुस्तैदी से एक बड़े अंतरराज्यीय हथियार तस्कर गिरोह का खुलासा किया है। गिरोह का सरगना इमरान पुत्र तस्लीम अहमद को मेरठ के हापुड़ अड्डा क्षेत्र से गिरफ्तार किया गया है। इस गिरोह के सदस्य लंबे समय से पंजाब, दिल्ली और हरियाणा से अवैध हथियार लाकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ऊंचे दामों पर बेचते थे।
पकड़े गए अपराधी का आपराधिक इतिहास खौफनाक
एसटीएफ की पूछताछ में इमरान ने कबूल किया है कि उसका नेटवर्क पूरे उत्तर भारत में फैला हुआ है। उसकी मुलाकात साल 2015 में तिहाड़ जेल में दिल्ली के कुख्यात गैंगस्टर इवेले हसन के जरिए हासिम बाबा और नासिर गैंग से हुई थी। तभी से इमरान इन गैंगों से जुड़े हथियार तस्करी के नेटवर्क का हिस्सा बन गया।
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हुआ बड़ा खुलासा
इमरान ने पुलिस को बताया कि वह और उसके साथी सारिक, अनिल बालियान उर्फ बंजी, रोहन और रिजवान मिलकर पंजाब के मरहटा गन हाउस, अमृतसर से फर्जी रसीदों पर अवैध हथियार खरीदते थे। 17 बंदूकें (12 बोर) और 700 कारतूस इसी तरह खरीदे गए थे। बाद में इन्हें उत्तर प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा में ऊंचे दामों पर बेचा गया।
अब तक गिरफ्तार हुए आरोपी
- 23 नवंबर 2024: रोहन (17 बंदूकें और 700 कारतूस के साथ)
- 20 दिसंबर 2025: अनिल बालियान (अमेरिकी राइफल, मैगजीन और कारतूस के साथ)
- 13 मई 2025: विपिन कुमार
- 29 मई 2025: धीरेन्द्र सिंह उर्फ पिंटू दाढ़ी
- 11 जुलाई 2025: सारिक (32 बोर की दो अवैध पिस्टल के साथ)
- 20 सितम्बर 2025: इमरान (गैंग का सरगना)
- गिरोह का एक अन्य सदस्य अक्षय उर्फ भूरा पहले ही न्यायालय में आत्मसमर्पण कर चुका है।
तस्करी का तरीका और मुनाफा
गिरोह फर्जी दस्तावेज बनवाकर असलहे 40-50 हजार रुपये में खरीदता था और प्रत्येक बंदूक को 1 लाख रुपये, जबकि कारतूस को 200-250 रुपये प्रति नग में बेचता था। कुछ पिस्टल दिल्ली से 4.5 लाख में खरीदकर 6.5 लाख रुपये तक में बेची जाती थी।
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इमरान पर दर्ज संगीन आपराधिक मुकदमे
- 2014: मथुरा में ओमवीर की हत्या (धारा 302)
- 2014: दिल्ली के अब्दुला की हत्या (इवेले हसन के साथ मिलकर)
- 2015: हापुड़ में सदाम की हत्या (धारा 302/120B/506)
- 2015: हापुड़ में मुठभेड़ में पकड़ा गया (धारा 307)
- 2024: कंकरखेड़ा थाना, मेरठ में संगठित अपराध और आर्म्स एक्ट की धाराएं

