

बाराबंकी में विश्व प्रसिद्ध देवा मेला और प्रदर्शनी 2025 के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का शुभारंभ बुधवार को देवा मेला ऑडिटोरियम में दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। देवा मेला के मंच पर शहर के विभिन्न विद्यालयों ने भी अपनी कला का प्रदर्शन किया।
देवा मेला 2025
बाराबंकी: उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में विश्व प्रसिद्ध देवा मेला और प्रदर्शनी 2025 के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का शुभारंभ बुधवार को देवा मेला ऑडिटोरियम में दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। जिलाधिकारी एवं मेला समिति अध्यक्ष शशांक त्रिपाठी तथा उनकी धर्मपत्नी शैलजा त्रिपाठी ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया।
कार्यक्रमों की शुरुआत
इस अवसर पर एडीएम (वित्त एवं राजस्व) अरुण कुमार सिंह, एडीएम (न्यायिक) राजकुमार सिंह, एसडीएम आनंद कुमार तिवारी, सीएमओ डॉ. अवधेश कुमार यादव, बीएसए संतोष कुमार देव पांडेय सहित कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।उद्घाटन के बाद कार्यक्रमों की शुरुआत बहार सुगम संगीत प्रभाग के निर्देशक प्रभात नारायण दीक्षित और उनके छात्र-छात्राओं की श्री गणेश वंदना तथा स्वरचित कव्वाली 'ये मेरे वारिस पिया ले लिया मेरा जिया' से हुई। इसके बाद गिटार प्रशिक्षक कार्तिकेय कैलाश दीक्षित के निर्देशन में 'शिवराजे म्यूजिकल बैंड' ने बॉलीवुड मिक्स पर प्रस्तुतियां दीं, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा।
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कला का प्रदर्शन
देवा मेला के मंच पर शहर के विभिन्न विद्यालयों ने भी अपनी कला का प्रदर्शन किया। बालाजी का बचपन स्कूल के बच्चों ने शिक्षिकाओं सविता कौर, अल्पना कौर, रिचा अग्निहोत्री, शगुन रस्तोगी, सना हुसैन, अलीशा ज़ैदी के निर्देशन में गणेश वंदना प्रस्तुत की। वहीं बालाजी एकेडमी के विद्यार्थियों ने शिक्षिकाओं अना ख़ान, समन सिद्दीकी, नारायणी श्रीवास्तव, हादिया अकरम, श्रेया जायसवाल, और शिक्षकों अहमर शहबाज़, पीयूष मौर्य के निर्देशन में 'पहलगाम अटैक' पर आधारित देशभक्ति नृत्य-नाटिका प्रस्तुत की, जिसे दर्शकों की सराहना मिली।
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बच्चों के अभिनय को विशेष सराहना
अरुणोदय पब्लिक स्कूल, बाराबंकी के विद्यार्थियों ने 'कोलकाता रेप केस' पर आधारित एक नाट्य प्रस्तुति दी। इस प्रस्तुति का निर्देशन शिक्षिकाओं शाज़िया अल्वी, अंजित (रिंकू), तुलाराम राणा, माया सिंह और मंतशा ने किया। बाल कलाकार अंशिका, काव्या और अन्य बच्चों के अभिनय को विशेष सराहना मिली। सांस्कृतिक संध्या का समापन तालियों की गूंज और उत्साह के माहौल में हुआ। दर्शकों ने कार्यक्रमों को संस्कृति, एकता और सद्भाव का प्रतीक बताया।