UP Board of Madrasa Education: यूपी में मदरसा शिक्षा पाठ्यक्रमों में होगा बड़ा बदलाव, पढ़ने होंगे ये नये विषय

उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में मदरसा पाठ्यक्रमों में बदलाव का बड़ा फैसला लिया है। मामले की पूरी जानकारी के लिए पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट

Post Published By: Jaya Pandey
Updated : 2 June 2025, 4:02 PM IST
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने राज्य के मदरसों की शिक्षा व्यवस्था को आधुनिक और मुख्यधारा की शिक्षा प्रणाली से जोड़ने के लिए बड़ा कदम उठाया है। सरकार के नए फैसले के तहत अब कक्षा 9वीं से 12वीं तक के मदरसा पाठ्यक्रमों में व्यापक बदलाव किए जाएंगे। इस बदलाव का उद्देश्य मदरसा छात्रों को पारंपरिक शिक्षा के साथ-साथ आधुनिक विषयों में दक्ष बनाना है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, नए नियमों के तहत हिंदी, इंग्लिश, विज्ञान और गणित जैसे विषयों को अनिवार्य किया जाएगा। इससे मदरसा छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं और अन्य करियर विकल्पों के लिए बेहतर तैयार किया जा सकेगा। इसके साथ ही राज्य सरकार यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 में संशोधन करने जा रही है, ताकि पाठ्यक्रम में सुधार के साथ-साथ शिक्षा की गुणवत्ता भी सुनिश्चित की जा सके।

मदरसों के आधारभूत ढांचे को सुदृढ़ बनाने पर जोर

योगी सरकार का फोकस न केवल पाठ्यक्रम में बदलाव पर है, बल्कि मदरसों के आधारभूत ढांचे को सुदृढ़ करने पर भी है। इसके लिए सरकार ने निर्देश दिए हैं कि सभी मान्यता प्राप्त मदरसों को छात्रों के लिए न्यूनतम बुनियादी सुविधाएं प्रदान करनी होंगी। इनमें पढ़ाई के लिए पर्याप्त कक्षाएं, स्वच्छ पेयजल, अच्छी लाइब्रेरी, फर्नीचर, और अन्य शैक्षिक संसाधन शामिल हैं।

मार्कशीट को डिजिटल करने का लिया निर्णय

इसके अलावा सरकार ने सभी मदरसा छात्रों की मार्कशीट को डिजिटल करने का भी निर्णय लिया है। इससे न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि छात्रों को अपने दस्तावेजों की आसानी से ऑनलाइन उपलब्धता भी सुनिश्चित हो सकेगी।

शिक्षा जगत में सकारात्मक कदम

राज्य सरकार के इस फैसले को लेकर शिक्षा जगत में इसे एक सकारात्मक और दूरदर्शी कदम माना जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि इससे मदरसा छात्रों को भी अन्य स्कूलों के छात्रों की तरह समुचित शैक्षिक अवसर मिलेंगे।

मदरसा शिक्षा को मिला व्यापक स्वरूप

सरकार का यह कदम प्रदेश के लगभग 16,000 मान्यता प्राप्त मदरसों को प्रभावित करेगा। माना जा रहा है कि यह पहल मदरसा शिक्षा को केवल धार्मिक दायरे में सीमित रखने के बजाय, उसे एक व्यापक और समावेशी स्वरूप देने की दिशा में एक बड़ा परिवर्तन साबित होगी। इस फैसले के लागू होने के बाद मदरसा शिक्षा न केवल अधिक प्रासंगिक बनेगी, बल्कि छात्रों के भविष्य के लिए अधिक विकल्पों के द्वार भी खुलेंगे।

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