

अलीगढ़ के तहसील इगलास स्थित नोगवा गांव में एक ऐसा दृश्य देखने को मिला जिसने सामाजिक एकता और समानता का उदाहरण पेश किया। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की ये रिपोर्ट
बारात
अलीगढ़: भारत में लंबे समय से जाति भेदभाव एक सामाजिक समस्या रही है, जिसने समाज को अलग-अलग वर्गों में बांट रखा है। विशेष रूप से दलित और पिछड़ी जातियों को उच्च जाति के लोगों द्वारा भेदभाव का सामना करना पड़ता है। कई बार तो ग्रामीण क्षेत्रों में दलित समाज की बारात निकालने पर विरोध और हिंसा की खबरें भी सामने आती हैं। लेकिन देश के प्रधानमंत्री के 'सबका सम्मान, एक समान' के नारे को साकार करने का एक उत्कृष्ट उदाहरण उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जनपद में देखने को मिला।
नोगवा गांव में अनूठी पहल
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, अलीगढ़ के तहसील इगलास स्थित नोगवा गांव में एक ऐसा दृश्य देखने को मिला जिसने सामाजिक एकता और समानता का उदाहरण पेश किया। गांव के रहने वाले दलित समाज के एक परिवार की दो बेटियों की शादी थी। बारात जैसे ही गांव के मुख्य मार्ग से निकली, ठाकुर समाज के लोगों ने आगे बढ़कर न केवल स्वागत किया, बल्कि पूरे भव्य तरीके से बारातियों का आदर-सत्कार भी किया। यह पहल इस बात का प्रतीक थी कि समाज अब पुराने भेदभाव को छोड़कर एक नई सोच की ओर बढ़ रहा है।
ठाकुर समाज ने पेश की मिसाल
गांव के प्रमुख व्यक्ति शिव जादौन ने इस पहल का नेतृत्व किया। उन्होंने बताया कि जाति आधारित भेदभाव हमारे समाज को विभाजित करता है और इसे समाप्त करने की आवश्यकता है। शिव जादौन ने कहा, "हमारे देश के प्रधानमंत्री जी जब 'सबका सम्मान, एक समान' का नारा देते हैं, तो हमें भी उसी राह पर चलना चाहिए। दलित समाज की बेटियों की बारात का स्वागत करके हमने यह संदेश देने की कोशिश की है कि इंसानियत सबसे बड़ी है।"
उनकी इस सोच को न सिर्फ ठाकुर समाज ने अपनाया बल्कि पूरे गांव ने भी इसमें हिस्सा लिया। लोगों ने बारातियों पर फूल बरसाए, मिठाइयों से उनका स्वागत किया और दिल खोलकर सम्मान दिया। यह नजारा देखकर बारात में आए मेहमान भी भावुक हो गए। उन्होंने इसे एक नया बदलाव बताया और इस अनूठी पहल की सराहना की।
बदलते समाज की तस्वीर
इस घटना ने न केवल नोगवा गांव में बल्कि आसपास के क्षेत्रों में भी एक नई सोच को जन्म दिया है। यह संदेश स्पष्ट है कि एकता और सम्मान के बिना समाज का विकास संभव नहीं है। ठाकुर समाज के इस कदम ने यह साबित कर दिया कि अगर सोच में परिवर्तन लाया जाए, तो जाति और भेदभाव जैसी रुकावटें आसानी से दूर हो सकती हैं।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
इस अनूठी पहल को लेकर गांव के अन्य लोगों ने भी प्रशंसा व्यक्त की। स्थानीय निवासी सुरेश चौधरी ने कहा, "आज हमारे गांव ने एक नई मिसाल पेश की है। हमने जाति भेदभाव को पीछे छोड़कर इंसानियत को आगे रखा है।" वहीं, बारात में आए एक अन्य व्यक्ति ने कहा कि यह स्वागत देखकर उन्हें गर्व महसूस हुआ कि समाज अब बदल रहा है।