

गोरखपुर में एक मामूली विवाद ने हिंसक रूप ले लिया, जिसमें कई लोग घायल हो गए। इस घटना ने पूरे इलाके में हड़कंप मचा दिया है। डाइनामाइट न्यूज़ पर पढ़ें पूरी खबर
घटना में घायल हुए लोग
गोरखपुर: एक मामूली कहासुनी ने उस समय जिले में हिंसक मोड़ ले लिया जब धुरियापार गांव में शराब ठेके के पास खड़ी एक मोटरसाइकिल हटाने की बात पर कहासुनी चाकू और सरिए से जानलेवा हमले में बदल गई। इस दिल दहला देने वाली वारदात में तीन सगे भाई बुरी तरह घायल हो गए। पूरे इलाके में तनाव व्याप्त है और ग्रामीणों में गहरा आक्रोश है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, यह मामला उरुवा थाना क्षेत्र के धुरियापार गांव का है, जहां मंगलवार दोपहर करीब 12:30 बजे बिरयानी दुकानदार अब्दुल्ला की दुकान के सामने खड़ी मोटरसाइकिल को हटाने को लेकर विवाद शुरू हुआ। चंद्रशेखर गुप्ता ट्रैक्टर से खेत जोतने जा रहे थे, तभी दुकान के सामने खड़ी बाइक ने रास्ता रोक दिया। उन्होंने बाइक हटाने की बात कही, लेकिन दुकानदार अब्दुल्ला आगबबूला हो गया और गाली-गलौज करने लगा।
बात बढ़ने पर बरसे सरिया-चाकू
घटना की जानकारी मिलने पर चंद्रशेखर के भाई राकेश गुप्ता और चचेरे भाई प्रदीप गुप्ता मौके पर पहुंचे। तीनों भाइयों ने विरोध किया, तो अब्दुल्ला, रफीउल्ला, समीम, अजीउल्ला और दो अज्ञात लोगों ने मिलकर उन पर चाकू, नुकीले सरिए और डंडों से ताबड़तोड़ हमला कर दिया। तीनों भाइयों के सिर, हाथ और शरीर के कई हिस्सों में गंभीर चोटें आईं।
स्थानीयों की सूझबूझ ने बचाई जान
वहीं चीख-पुकार सुनकर आसपास के लोग दौड़े। भीड़ को देखकर हमलावर गाली-गलौज करते हुए मौके से फरार हो गए। ग्रामीणों ने तत्काल घायलों को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया। राकेश गुप्ता ने बताया, “अगर लोग समय पर न आते तो आज हम तीनों की लाशें होतीं।”
पुलिस ने दर्ज की एफआईआर
उरुवा थाने में राकेश गुप्ता की तहरीर पर नामजद आरोपियों के खिलाफ गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज की जा रही है। पुलिस ने घटनास्थल से चाकू और लोहे की सरिया बरामद की है। थाना प्रभारी ने बताया कि आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए कई ठिकानों पर दबिश दी जा रही है और उन्हें जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
शराब ठेका बना विवादों का गढ़
गौरतलब है कि इस घटना के बाद धुरियापार गांव में तनाव गहराया हुआ है। ग्रामीणों का कहना है कि शराब ठेके के पास आए दिन इस तरह के झगड़े होते रहते हैं, लेकिन प्रशासन मौन बना रहता है। लोगों ने मांग की है कि ठेके के संचालन पर सख्ती हो और इलाके की निगरानी बढ़ाई जाए।
क्या ठेके के इर्द-गिर्द ही उपजती है हिंसा?
इस घटना के बाद ये सवाल उठ रहे हैं कि एक मोटरसाइकिल हटाने को लेकर शुरू हुआ विवाद कैसे हिंसक हमले में बदल गया? क्या यह अकेली घटना है या फिर प्रशासन की लापरवाही से अपराधियों के हौसले बुलंद हैं? क्या शराब ठेकों के इर्द-गिर्द की अराजकता ऐसी घटनाओं को जन्म दे रही है? अब देखने वाली बात ये होगी कि पुलिस कितनी जल्दी दोषियों को सलाखों के पीछे पहुंचाती है।