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लोक आस्था के महापर्व छठ का समापन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ हुआ। व्रती महिलाओं ने परिवार की सुख-समृद्धि और संतान की लंबी उम्र के लिए सूर्यदेव से प्रार्थना की। जिलेभर में श्रद्धा और भक्ति का अनोखा माहौल देखने को मिला।
उगते सूर्य को अर्घ्य देती व्रती महिलाएं
Maharajganj: देश-दुनिया में लोक आस्था के छठ महापर्व के चौथे दिन आज (मंगलवार) की सुबह छठ व्रतियों ने उगते सूर्य भगवान को अर्घ्य देकर इसका समापन किया। इसके बाद सभी छठ व्रतियों ने व्रत का पारण किया। मान्यता है कि सूर्योदय के समय अर्घ्य देने से सुख-समृद्धि, सौभाग्य, संतान प्राप्ति की मनोकामना और संतान की रक्षा का वरदान मिलता है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, महराजगंज के कोल्हुई, लक्ष्मीपुर, अड्डा बाजार और नौतनवा पुरंदरपुर समेत सभी जगहों पर इस आस्था के पर्व को धूमधाम से मनाया गया।
छठ महापर्व के आखिरी दिन सूर्योदय के दौरान अर्घ्य देते समय मंत्र-ओम एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते, अनुकंपय माम् भक्तया गृहाणाघ्र्यम् दिवाकर का जाप किया गया। महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान शनिवार को नहाय-खाय के साथ आरंभ हुआ था। पहले दिन व्रतियों ने यहां गंगा स्नान के साथ सूर्यदेव को जल से अर्घ्य दिया।
महराजगंज: लोक आस्था के छठ महापर्व के चौथे दिन मंगलवार की सुबह छठ व्रतियों ने उगते सूर्य भगवान को अर्घ्य दिया। इसके साथ ही देने के साथ ही समापन हो गया। इसके बाद सभी छठ व्रतियों ने व्रत का पारण किया।#ChhathPuja #chhath2025 #maharajganj pic.twitter.com/7d6tb8eQKH
— डाइनामाइट न्यूज़ हिंदी (@DNHindi) October 28, 2025
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इसके बाद पूरी पवित्रता के साथ अरवा चावल, चना दाल, कद्दू की सब्जी और आंवले की चटनी आदि का भोग लगाकर प्रसाद तैयार किया। खरना पूजन के दिन व्रतियों ने पूरे दिन उपवास कर शाम में भगवान का भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण किया। इसके बाद 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हुआ। इसके बाद, व्रतियों ने डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया। लक्ष्मीपुर ब्लॉक प्रमुख अंजलि पांडे ने भी इस लोक आस्था के महापर्व छठ व्रत को रखा। साथ ही डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देकर लोक कल्याण की मंगलकामना की।
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आज उदीयमान सूर्य को नदी-तालाब और अन्य जल स्रोतों के बीच खड़े होकर अर्घ्य देने के साथ ही छठ का चार दिवसीय अुनष्ठान पूरा हो गया। छठ व्रतियों ने अनुष्ठान के समापन की पूर्व संध्या पर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया। व्रतियों ने जल में खड़े होकर पवित्रता के साथ फल, मिष्ठान, नारियल, पान-सुपारी, फूल, अर्कपात से भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर परिवार की कुशलता के लिए प्रार्थना की। अर्घ्य व पूजन करने के बाद व्रतियों ने घाट पर पारण कर पर्व का समापन किया।