महिला दलालों का आतंक: जिला महिला अस्पताल में लूट का खेल, सीएमएस की नाकामी आई सामने

जिला महिला अस्पताल में महिला दलालों का रैकेट प्रसव के लिए आने वाली महिलाओं के परिजनों को लूट रहा है। प्रशासन की उदासीनता के बीच सरकार की मुफ्त स्वास्थ्य योजनाएं प्रभावित हो रही हैं।

Post Published By: Nidhi Kushwaha
Updated : 25 June 2025, 2:58 PM IST
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जालौन: जिला महिला अस्पताल में इन दिनों महिला दलालों का रैकेट बेलगाम हो चुका है, जो प्रसव के लिए आने वाली महिलाओं और उनके परिजनों को निशाना बना रहा है। यह दलाल अस्पताल के प्रभारी मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) डॉ. एन. आर. वर्मा और उनके करीबी बाबू राजेंद्र प्रसाद के कथित संरक्षण में अपना जाल फैलाए हुए हैं।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, सूत्रों ने बताया कि ये महिला दलाल प्रसव कक्ष से लेकर डॉक्टरों के कक्षों तक गिद्ध की तरह मंडराती रहती हैं। ये परिजनों को भ्रमित कर उन्हें निजी नर्सिंग होम ले जाती हैं, जहां मोटी रकम वसूल की जाती है। बदले में दलालों और कुछ अस्पताल कर्मियों को नर्सिंग होम संचालकों से मोटा कमीशन मिलता है।

गर्भवती महिलाओं की मजबूरी का उठा रहे फायदा

एक तरफ, जहां योगी सरकार ने प्रदेश में मुफ्त स्वास्थ्य सेवाओं और उपचार की व्यवस्था लागू की है। सरकारी अस्पतालों को सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। इसके बावजूद जिला महिला अस्पताल के जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी सरकार की योजनाओं को धराशायी करने में जुटे हैं। ये दलाल गर्भवती महिलाओं के परिजनों से न केवल आर्थिक शोषण कर रहे हैं, बल्कि उनकी मजबूरी का भी फायदा उठा रहे हैं।

पहले लगाई जा चुकी है लगाम

वहीं पहले इस अस्पताल की सीएमएस रहीं डॉ. सुनीता बनौधा ने अपने कार्यकाल में महिला दलालों पर नकेल कसने की पुरजोर कोशिश की थी। उनके प्रयासों से इस रैकेट पर कुछ हद तक अंकुश लगा था। हालांकि, उनका कार्यकाल समाप्त होने के बाद वरिष्ठ डॉक्टर होने के नाते डॉ. एन. आर. वर्मा को अस्थायी रूप से प्रभारी सीएमएस बनाया गया। सूत्र बताते हैं कि डॉ. वर्मा के पदभार ग्रहण करते ही महिला दलाल फिर से सक्रिय हो गईं। सीएमएस और उनके करीबी बाबू राजेंद्र प्रसाद इन दलालों पर लगाम लगाने में पूरी तरह विफल साबित हो रहे हैं। नतीजतन, प्रसव के लिए आने वाली गरीब और मजबूर महिलाओं के परिजनों की लूट बदस्तूर जारी है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि यह रैकेट लंबे समय से सक्रिय है, लेकिन प्रशासन की उदासीनता के कारण इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही। जिला प्रशासन को इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। साथ ही, अस्पताल में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठाए जाने चाहिए।

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