

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिला अस्पताल में सीनियर महिला डॉक्टर द्वारा स्टाफ नर्सों से अभद्रता के आरोपों के बाद अस्पताल कर्मियों ने कार्य बहिष्कार कर दिया। सीएमएस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति संभालने की कोशिश की, लेकिन कार्रवाई की मांग पर कर्मचारी अड़े रहे।
मुजफ्फरनगर जिला अस्पताल में हंगामा
Muzaffarnagar: जिला अस्पताल में गुरुवार को उस वक्त हंगामे की स्थिति पैदा हो गई, जब अस्पताल की एक सीनियर महिला डॉक्टर द्वारा ड्यूटी पर तैनात स्टाफ नर्सों के साथ अभद्र व्यवहार किए जाने का मामला सामने आया। आरोप है कि डॉक्टर चारु ने स्टाफ नर्स उपासना, सीखा और नेहा चौधरी के साथ न केवल बदसलूकी की बल्कि अपशब्दों का भी प्रयोग किया। इस घटना से नाराज नर्सिंग स्टाफ और अन्य अस्पताल कर्मियों ने सामूहिक रूप से कार्य बहिष्कार की घोषणा करते हुए सीएमएस ऑफिस के बाहर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया।
कर्मचारियों का आरोप है कि यह कोई पहली बार की घटना नहीं है। डॉक्टर चारु पूर्व में भी कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार करती रही हैं और इस संबंध में कई बार लिखित शिकायतें भी की जा चुकी हैं। लेकिन प्रशासन द्वारा कोई ठोस कार्रवाई न होने के कारण कर्मचारियों का सब्र अब जवाब दे गया। इसी के चलते उन्होंने काम छोड़कर धरने पर बैठने का फैसला किया।
धरने की सूचना पर जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) डॉ. संजय वर्मा मौके पर पहुंचे और उन्होंने आंदोलन कर रहे कर्मचारियों को शांत कराने की कोशिश की। डॉ. वर्मा ने बताया कि दोनों पक्षों की बात सुनी जाएगी और उचित जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि पूर्व में भी ऐसी शिकायतें आई हैं जिन्हें उन्होंने संबंधित उच्चाधिकारियों तक अग्रेषित किया है।
सीएमएस ने बताया, “आज सुबह कुछ दुर्व्यवहार की घटना सामने आई है। कर्मचारियों की यह पुरानी शिकायत भी रही है। मैंने पहले भी शिकायतों को ऊपर भेजा है। अब मैं दोनों पक्षों को बुलाकर समझाने की कोशिश करूंगा कि वह अपने व्यवहार में सुधार लाएं। अगर कर्मचारी संघ चाहता है कि जांच हो और रिपोर्ट ऊपर भेजी जाए तो वह भी किया जाएगा।”
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वहीं अस्पताल कर्मियों का कहना है कि जब तक आरोपी डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती, तब तक उनका धरना जारी रहेगा। इस पूरे घटनाक्रम का सीधा असर अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ा और मरीजों को गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ा।
कुछ मरीजों ने बताया कि वे सुबह से पर्ची बनवाकर डॉक्टर के इंतजार में बैठे थे, लेकिन नर्सिंग स्टाफ और अन्य कर्मियों की गैरमौजूदगी के कारण उन्हें इलाज नहीं मिल सका। एक महिला मरीज ने कहा, “बच्चे को तेज बुखार है, लेकिन कोई देखने वाला नहीं है। हम मजबूरी में प्राइवेट क्लिनिक जा रहे हैं।”