यूपी सरकार की नीतियों के खिलाफ सपा नेता जयसिंह प्रताप यादव ने खोला मोर्चा, कहा- “हमें मधुशाला नहीं, पाठशाला चाहिए”

योगी सरकार के प्राथमिक विद्यालय मर्जर आदेश के खिलाफ अमेठी में हो रहा यह विरोध प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को लेकर जनता के असंतोष का प्रतीक बनता जा रहा है। समाजवादी पार्टी इसे बड़ा आंदोलन बनाने की तैयारी में है। अगर सरकार ने जल्द फैसला नहीं बदला तो यह मामला राज्य की राजनीति में नया मोड़ ला सकता है।

Post Published By: Mayank Tawer
Updated : 18 July 2025, 1:43 PM IST
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Amethi News: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा प्राथमिक विद्यालयों के मर्जर (विलय) के आदेश के खिलाफ अमेठी में विरोध की आवाज़ तेज होती जा रही है। समाजवादी पार्टी के नेता जयसिंह प्रताप यादव की अगुवाई में भादर ब्लॉक के खाझा ग्रामसभा स्थित बंद हो चुके प्राथमिक विद्यालय पूरे भोजई मिश्र स्कूल के सामने छात्रों और उनके अभिभावकों के साथ जोरदार प्रदर्शन किया गया।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों ने "हमें मधुशाला नहीं, पाठशाला चाहिए" जैसे नारों के साथ सरकार के फैसले को वापस लेने की मांग की और चेतावनी दी कि अगर यह आदेश वापस नहीं हुआ तो आंदोलन तेज किया जाएगा।

"शिक्षा से दूर कर मानसिक गुलामी की साजिश"

सपा नेता जयसिंह प्रताप यादव ने अपने संबोधन में कहा, “जब तक सरकार यह तुगलकी फरमान वापस नहीं लेती, तब तक हमारा आंदोलन जारी रहेगा। यह सरकार गरीबों, दलितों, पिछड़ों और कमजोर वर्ग के बच्चों को शिक्षा से वंचित कर उन्हें मानसिक गुलाम बनाना चाहती है।”

बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार खत्म कर रही सरकार

उन्होंने कहा कि बाबा साहब भीमराव अंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान में शिक्षा को बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार बताया गया है, लेकिन यह सरकार उन अधिकारों का लगातार उल्लंघन कर रही है। उनका आरोप था कि सरकार गांवों के स्कूल बंद कर चौराहों पर "मधुशालाएं" (नशे के अड्डे) खोलने की दिशा में काम कर रही है।

"शिक्षा के मंदिर बंद, नशे का माहौल फैलाने की साजिश"

जयसिंह प्रताप यादव ने सरकार पर कड़ा हमला बोलते हुए कहा, “गांवों के सरकारी स्कूलों में गरीब और मेहनतकश तबके के बच्चे पढ़ते हैं। अगर यही स्कूल बंद कर दिए जाएंगे तो वे पढ़ाई से वंचित हो जाएंगे। यह सरकार शिक्षा के मंदिरों को बंद कर नशे का माहौल फैलाने पर तुली है।”

स्कूलों को गांव से दूर करना एक सोची-समझी रणनीति

उन्होंने यह भी कहा कि सरकार का असली उद्देश्य है कि स्कूलों को गांव से दूर कर दिया जाए, जिससे गरीब बच्चे शिक्षा तक पहुंच ही न बना पाएं। यह एक सोची-समझी रणनीति है, जिससे आने वाली पीढ़ी को अशिक्षित और दिशाहीन बना दिया जाए।

"सड़क से लेकर सदन तक लड़ाई जारी रहेगी"

सपा नेता ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर यह फैसला वापस नहीं लिया गया तो समाजवादी पार्टी सड़क से लेकर विधानसभा तक संघर्ष करेगी। उन्होंने कहा, “गरीबों और दलितों के बच्चों की बद्दुआ इस सरकार को बहुत महंगी पड़ेगी। जनता इस सरकार को आने वाले चुनाव में उखाड़ फेंकेगी।”

बड़ी संख्या में जुटे स्थानीय लोग

इस विरोध प्रदर्शन में क्षेत्र के कई स्थानीय नेता और ग्रामीण भी शामिल हुए। मौके पर मनु पाल, बृजेश यादव, राकेश कोरी, रोहित शर्मा, मोहम्मद शाहिद, चंद्रकांत पाल, संजय, सूरज, छोटेलाल, रामदेव कोरी, विजय कोरी और अविनाश सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे। बच्चों के अभिभावक भी खासे आक्रोशित नजर आए।

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