Sonbhadra News: दुष्कर्म पर कड़ा फैसला! सोनभद्र कोर्ट ने सुनाई 20 साल की सजा, 40 हजार का जुर्माना
उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में चार साल बाद अब आजकर मासूम को इंसाफ मिल पाया है। क्या है पूरी रिपोर्ट जानने के लिए पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
सोनभद्र: उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में चार साल बाद अब आजकर मासूम को इंसाफ मिल पाया है। पीड़िता का परिवार चार साल से उम्मीद में था किसी दिन उसको इंसाफ जरूर मिलेगा। बता दें कि, अपर सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट सोनभद्र अमित वीर सिंह की अदालत ने शनिवार को मामले की सुनवाई करते हुए इमरान को दोषी करार देते हुए 20 वर्ष सश्रम कारावास और 40 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, अर्थदंड न देने पर एक माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। वहीं अर्थदंड की धनराशि से 30 हजार रुपये पीड़िता को दिए जाएंगे। मामला साढ़े चार वर्ष पूर्व 16 वर्षीय नाबालिग लड़की का है, जिसका अपहरण कर उसके साथ दुष्कर्म किया गया था।
अभियोजन पक्ष के अनुसार विंढमगंज थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी पीड़िता के पिता ने आठ जनवरी 2021 को थाने में दी गई तहरीर में बताया था कि उसकी 16 वर्षीय नाबालिग बेटी पांच जनवरी 2021 की सुबह पांच बजे शौच के लिए घर से निकली थी।
लेकिन काफी देर तक वह वापस नहीं लौटी। रिश्तेदारी व अन्य स्थानों पर काफी खोजबीन की गई, लेकिन उसका कहीं पता नहीं चला। इस शिकायत पर पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ अपहरण का केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी थी। जांच के दौरान आरोपी इमरान पुत्र यासीन उर्फ सलामत निवासी सैनपुर, थाना कोतवाली औरैया, जिला औरैया का नाम प्रकाश में आया था। इसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लड़की को बरामद कर लिया था।
40 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई
लड़की को कोर्ट में पेश किया गया तो लड़की के बयान के आधार पर दुष्कर्म समेत अन्य धाराएं बढ़ा दी गईं। विवेचक ने पर्याप्त साक्ष्य मिलने पर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी थी। मामले की सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों के वकीलों की दलीलों, गवाहों के बयान और पत्रावली का अवलोकन करने के बाद कोर्ट ने आरोपी इमरान को दोषी पाते हुए 20 साल के सश्रम कारावास और 40 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है।
एक माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना
जुर्माना न देने पर एक माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। वहीं, जुर्माने की धनराशि से 30 हजार रुपये पीड़िता को दिए जाएंगे। अभियोजन पक्ष की ओर से शासकीय अधिवक्ता दिनेश प्रसाद अग्रहरि, सत्य प्रकाश त्रिपाठी और नीरज कुमार सिंह ने बहस की।