

सोनभद्र के खैरटिया गांव में अमृत सरोवर योजना के तहत बना तालाब अब गंदे नालों का ठिकाना बन चुका है। ग्रामीणों ने प्रदर्शन कर तालाब की सफाई और नालियों का पानी रोकने की मांग की है।
तालाब बना गंदे नालों का ठिकाना
Sonbhadra: चोपन ब्लॉक अंतर्गत बिल्ली के मारकुंडी टोला खैरटिया गांव में स्थित एकमात्र तालाब, जो कि केंद्र सरकार की अमृत सरोवर योजना के अंतर्गत आता है, आज खुद ही बदहाली का शिकार हो चुका है। कभी गांव की धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों का केंद्र रहा यह तालाब अब गंदगी और नालियों के पानी से भर गया है। इस स्थिति से नाराज ग्रामीणों ने जोरदार प्रदर्शन करते हुए तालाब की जल्द सफाई और उसकी समुचित देखरेख की मांग की है।
ग्रामीणों का कहना है कि यह तालाब गांव के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण सांस्कृतिक स्थल है, जहां हर वर्ष छठ पूजा, अंत्येष्टि क्रिया-कर्म, और अन्य धार्मिक कार्य संपन्न होते हैं। लेकिन पिछले डेढ़ से दो वर्षों से ओम चौराहे और आसपास की नालियों का गंदा पानी तालाब में मिल रहा है। इससे न केवल पानी प्रदूषित हो गया है, बल्कि इसके धार्मिक उपयोग में भी बाधा आ रही है।
स्थानीय लोगों ने जताई चिंता
धर्मजीत जायसवाल, एक स्थानीय निवासी ने बताया कि तालाब की हालत दिन-ब-दिन चिंताजनक होती जा रही है। उन्होंने कहा, यह तालाब गांव की पहचान है, और यहां लगभग 500 महिलाएं छठ व्रत करती हैं। लेकिन अब यहां आना भी दूभर हो गया है। उन्होंने बताया कि इस मुद्दे पर तहसील दिवस में एसडीएम को शिकायत दी गई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। सौंदर्यीकरण के नाम पर केवल सतही काम हुआ है। खंडजा अधूरा, और सुरक्षा के लिए लगी तार भी चोरी हो चुकी है।
नालियों का पानी रोकने की मांग में ग्रामीणों का प्रदर्शन
शिवकुमार खरवार, एक अन्य स्थानीय निवासी ने बताया कि तालाब में मछली, कछुए और अन्य जलीय जीवों का जीवन अब खतरे में है। उन्होंने आरोप लगाया कि तालाब निर्माण के बाद से अब तक सफाई नहीं कराई गई है और सौंदर्यीकरण के नाम पर धन की बंदरबांट हुई है। उन्होंने स्पष्ट किया कि तालाब में केवल एक तरफ सीढ़ी बनी है, बाकी काम अधूरा है। उनका कहना है, अगर जल्द सफाई और विकास कार्य नहीं हुआ तो इसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी।
ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने उच्च अधिकारियों को लिखित रूप से कई बार अवगत कराया, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। छठ पूजा नजदीक है, ऐसे में अगर तालाब की सफाई नहीं हुई तो धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचेगी और ग्रामीणों का आक्रोश और बढ़ेगा।
तालाब की तत्काल सफाई कराई जाए
नालियों का कनेक्शन तालाब से पूरी तरह बंद किया जाए
सौंदर्यीकरण में खर्च हुए पैसों की जांच हो
और तालाब के सभी अधूरे कार्य जल्द पूरे किए जाएं
यह मामला न केवल एक प्राकृतिक जल स्रोत के संरक्षण का है, बल्कि ग्रामीणों की धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान से भी जुड़ा है।