Sonbhadra News: फर्जी जाति प्रमाणपत्र बनवाकर यूपी पुलिस में भर्ती, मध्यप्रदेश के चार युवकों पर एफआईआर

मध्यप्रदेश के चार युवकों ने उत्तर प्रदेश में फर्जी जाति प्रमाणपत्र के आधार पर पुलिस में नौकरी हासिल की। जांच में फर्जीवाड़ा पकड़ में आया तो पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है। चारों की नियुक्ति रद्द करने की प्रक्रिया जारी है।

Post Published By: सौम्या सिंह
Updated : 28 August 2025, 6:01 PM IST
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Sonbhadra: उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग में फर्जी जाति प्रमाणपत्र लगाकर नौकरी हासिल करने का बड़ा मामला सामने आया है। मध्यप्रदेश के सिंगरौली जिले के रहने वाले चार युवकों ने खुद को उत्तर प्रदेश निवासी और अनुसूचित जाति (SC) का बताकर पुलिस आरक्षी नागरिक पुलिस भर्ती 2023 में चयन पा लिया। सत्यापन के दौरान जब यह फर्जीवाड़ा पकड़ा गया, तो चारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई और आगे की जांच शुरू कर दी गई है।

जाति प्रमाणपत्र घोटाला

प्रभारी निरीक्षक राम स्वरूप वर्मा के अनुसार आरोपी उमेश कुमार, राकेश सिंह, दीपक कुमार और विजय कुमार सभी सिंगरौली (मध्य प्रदेश) के निवासी हैं। इन चारों ने भर्ती प्रक्रिया के दौरान उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के घोरावल तहसील का पता देते हुए खुद को अनुसूचित जाति का सदस्य दिखाया। इन लोगों ने घोरावल तहसीलदार से फर्जी जाति प्रमाणपत्र और मूल निवास प्रमाणपत्र बनवाकर फॉर्म भरा और आरक्षण का लाभ लेकर परीक्षा उत्तीर्ण की।

सत्यापन के दौरान इनकी जाति बैसवार/वैश्य निकली, जो मध्यप्रदेश में ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) श्रेणी में आती है, न कि अनुसूचित जाति में। उमेश कुमार ने अपने आवेदन में घोरावल का पता दिखाया, जबकि जांच में वह मझिगवा गांव, चितरंगी तहसील, सिंगरौली का निवासी निकला। अन्य तीनों के पते भी मध्यप्रदेश के ही निकले।

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मध्यप्रदेश के चार युवक यूपी में बने 'SC' और पा ली नौकरी

पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार मीणा ने बताया कि भर्ती प्रक्रिया के दौरान चारों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर लाभ उठाया। दस्तावेजों की जांच में फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद घोरावल तहसीलदार ने उनके प्रमाणपत्र निरस्त कर दिए हैं। इसके आधार पर चारों युवकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है और अभ्यर्थी निरस्तीकरण की रिपोर्ट भर्ती बोर्ड को भेज दी गई है।

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पुलिस अधीक्षक कार्यालय, सोनभद्र

मीणा ने बताया कि जिन दस्तावेजों के आधार पर इन लोगों ने निवास व जाति प्रमाणपत्र बनवाए, वे गलत पाए गए हैं। एफआईआर दर्ज हो चुकी है और मामले की जांच की जा रही है। दोष सिद्ध होने पर आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

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यह मामला न सिर्फ भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़े करता है बल्कि जातिगत आरक्षण प्रणाली के दुरुपयोग का ज्वलंत उदाहरण भी है। अब पुलिस विभाग ने इन उम्मीदवारों की नियुक्ति रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

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