नशीले कफ सिरप तस्करी मामले में ईडी को दो करोड़ रुपये के संदिग्ध लेन-देन के सुराग मिले हैं। राशि से लग्जरी गाड़ी खरीदकर माफिया रिश्तेदार को गिफ्ट करने की आशंका है। मामले में मनी लॉन्ड्रिंग और माफिया संरक्षण की जांच तेज हो गई है।

कफ सिरप विवाद (Img: Google)
Lucknow: नशीले कफ सिरप के अवैध कारोबार से जुड़े सिंडिकेट की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। जांच के दौरान ईडी को मुख्य आरोपी शुभम जायसवाल के करीबी परिजन से जुड़ी एक फर्म के जरिए करीब दो करोड़ रुपये की संदिग्ध रकम अयोध्या की एक कंस्ट्रक्शन कंपनी को ट्रांसफर किए जाने के अहम सुराग मिले हैं। अधिकारियों को शक है कि इसी रकम का इस्तेमाल कर एक लग्जरी लैंड क्रूजर गाड़ी खरीदी गई, जिसे पूर्वांचल के एक माफिया रिश्तेदार को गिफ्ट किया गया।
ईडी के अधिकारियों के अनुसार, शुभम जायसवाल के करीबी रिश्तेदार की फर्म से अयोध्या स्थित कंस्ट्रक्शन कंपनी के खाते में लगभग दो करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए। जांच में सामने आया है कि इस रकम के ट्रांसफर का कोई स्पष्ट कारोबारी कारण नजर नहीं आ रहा है। अधिकारियों को आशंका है कि यह पैसा नशीले कफ सिरप की तस्करी से अर्जित अवैध धन हो सकता है, जिसे वैध दिखाने के लिए कंस्ट्रक्शन कंपनी के जरिए घुमाया गया।
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सूत्रों के मुताबिक, इस रकम से एक महंगी लैंड क्रूजर गाड़ी खरीदी गई, जिसे पूर्वांचल के एक प्रभावशाली माफिया रिश्तेदार को उपहार के रूप में दिया गया। यह गाड़ी फिलहाल ईडी की जांच के दायरे में है। अधिकारियों का मानना है कि लग्जरी गाड़ियों का इस्तेमाल अवैध धन को खपाने और अपनी सामाजिक व राजनीतिक हैसियत दिखाने के लिए किया जा रहा था।
इस अहम खुलासे के बाद ईडी अब वाराणसी स्थित फर्म और अयोध्या की कंस्ट्रक्शन कंपनी के बीच मनी ट्रेल की बारीकी से जांच कर रहा है। एजेंसी यह पता लगाने में जुटी है कि दोनों के बीच किस तरह के कारोबारी संबंध थे और किन लेन-देन के जरिए इतनी बड़ी रकम ट्रांसफर की गई। शुरुआती जांच में यह भी सामने आया है कि संबंधित कंस्ट्रक्शन कंपनी के खाते में पहले बड़े लेन-देन नहीं होते थे।
ईडी को यह जानकर भी संदेह हुआ है कि जिस कंस्ट्रक्शन कंपनी को यह रकम मिली, उसकी स्थापना महज तीन साल पहले हुई थी। इतनी नई कंपनी को अचानक दो करोड़ रुपये का भुगतान और फिर उसी खाते से लग्जरी गाड़ी की खरीद कई सवाल खड़े कर रही है। ईडी के अधिकारी अब कंपनी के सभी वित्तीय रिकॉर्ड, आय-व्यय विवरण और टैक्स दस्तावेजों की जांच कर रहे हैं।
ईडी की जांच जिस दिशा में आगे बढ़ रही है, उससे यह साफ संकेत मिल रहे हैं कि नशीले कफ सिरप की तस्करी करने वाले इस सिंडिकेट को माफिया संरक्षण प्राप्त था। जांच एजेंसी का मानना है कि राजनीतिक और आपराधिक रसूख के दम पर यह नेटवर्क लंबे समय से फल-फूल रहा था। अब इस मामले में माफिया से जुड़े अन्य नाम भी जांच के घेरे में आ सकते हैं।
ईडी की जांच फिलहाल सिर्फ 9777 और 1111 सीरीज की लग्जरी गाड़ियों तक सीमित नहीं है। अब 1777 सीरीज की महंगी गाड़ियां भी एजेंसी के निशाने पर आ गई हैं। बताया जा रहा है कि इस सीरीज की गाड़ियों का इस्तेमाल माफिया के एक रिश्तेदार द्वारा किया जा रहा है, जो संबंधित कंस्ट्रक्शन कंपनी संचालक का भाई है।