Scam in Raebareli: कागजों में थी बंद, मगर बैंक में करोड़ों का खेल! GST विभाग ने पकड़ा बड़ा घोटाला

जिले में जीएसटी विभाग ने एक ऐसे बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा किया है, जिसने शासन-प्रशासन को चौंका कर रख दिया है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Post Published By: Poonam Rajput
Updated : 19 June 2025, 5:45 PM IST
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रायबरेली: जिले में जीएसटी विभाग ने एक ऐसे बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा किया है, जिसने शासन-प्रशासन को चौंका कर रख दिया है। सत्यनगर निवासी रमेश चंद्रा द्वारा पंजीकृत एक कंपनी "राजधानी इंटरप्राइज़" ने बंद होने के बावजूद दिल्ली में 57 करोड़ रुपये का अवैध कारोबार किया। इतना ही नहीं, कंपनी ने 10 करोड़ रुपये का इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) भी गलत तरीके से प्राप्त कर लिया।

टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाया

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, यह कंपनी पहले जीएसटी के तहत पंजीकृत थी, लेकिन जब विभाग की टीम द्वारा इसका स्थलीय निरीक्षण किया गया, तो यहां कोई व्यापारिक गतिविधि नहीं पाई गई। इसके आधार पर फरवरी महीने में इसका पंजीकरण रद्द कर दिया गया था। लेकिन हैरानी की बात यह रही कि इसके बावजूद भी कंपनी ने दस्तावेजों में जालसाजी कर दिल्ली से करोड़ों का कारोबार दर्शाया और टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाया।

GST विभाग की जांच में पता चला कि रमेश चंद्रा ने कई फर्जी आईडी और दस्तावेजों का इस्तेमाल कर जीएसटी पोर्टल पर लेन-देन दर्शाया। इसके बाद विभाग की ओर से कोतवाली थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई, और पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।

पुलिस जुटी जांच में, जल्द हो सकती हैं गिरफ्तारियां

सीओ सदर अमित सिंह ने बताया कि “जीएसटी विभाग द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि फर्जी फर्म के जरिए करोड़ों रुपये का लेन-देन किया गया और बोगस आईडी से GST ट्रांसफर किए गए। विभाग ने कुछ दस्तावेज भी सौंपे हैं, जिनके आधार पर साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं।”

उन्होंने यह भी बताया कि इस मामले में जल्द ही गिरफ्तारी की जा सकती है और इस प्रकार के फ्रॉड से जुड़े नेटवर्क की भी छानबीन की जाएगी। यह पूरा मामला न केवल जीएसटी कानून की गंभीर अनदेखी है, बल्कि सरकारी खजाने को करोड़ों रुपये का नुकसान भी पहुंचाया गया है।

यह फर्जीवाड़ा यह दर्शाता है कि कागजी कंपनियों के जरिए किस तरह टैक्स चोरी और आर्थिक अपराध को अंजाम दिया जा रहा है। जीएसटी विभाग और पुलिस की सक्रियता से यह मामला अब कानून के शिकंजे में आ चुका है।

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