हिंदी
उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले स्थित प्राचीन भदेश्वरनाथ धाम में सावन शिवरात्रि पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। रात्रि 12 बजे से जलाभिषेक की शुरुआत हुई, जिसमें अयोध्या से सरयू जल लाकर लाखों कांवड़ियों ने शिवलिंग पर जल अर्पित किया। भक्तों की आस्था और भक्ति से मंदिर परिसर गूंज उठा।
बाबा भदेश्वर नाथ धाम (सोर्स-गूगल)
Basti: सावन शिवरात्रि के पावन अवसर पर उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले स्थित प्राचीन भदेश्वरनाथ धाम में आस्था का अद्भुत नजारा देखने को मिला। रात्रि 12 बजे से ही जलाभिषेक का सिलसिला शुरू हो गया, जो पूरी रात चलता रहा। 'बोल बम', 'हर हर महादेव' और 'जय शिव शंकर' के गगनभेदी नारों से पूरा शिवधाम गूंज उठा।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, यहां आने वाले अधिकांश कांवड़ भक्त अयोध्या की पावन सरयू नदी से जल लेकर भदेश्वरनाथ धाम पहुंचे और भोलेनाथ को जल चढ़ाकर अपनी श्रद्धा व्यक्त की। मंदिर के पुजारियों और सेवकों ने जलाभिषेक के दौरान विधिवत पूजा-अर्चना करवाई। भदेश्वरनाथ धाम का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व बेहद गहरा है, मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है।
आठ से दस लाख श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान
प्रशासन की मानें तो इस बार करीब 8 से 10 लाख श्रद्धालुओं के मंदिर पहुंचने का अनुमान है। इसी के मद्देनजर पूरे मेला क्षेत्र में चाक-चौबंद सुरक्षा व्यवस्था की गई है। जगह-जगह पुलिस बल तैनात है और हर गतिविधि पर नजर रखने के लिए सीसीटीवी कैमरों से पूरे क्षेत्र की निगरानी की जा रही है। इसके साथ ही स्वास्थ्य शिविर, जलपान केंद्र और विश्राम स्थल की भी उचित व्यवस्था की गई है ताकि भक्तों को किसी तरह की परेशानी न हो।
भव्य रूप से हो रहा आयोजन
स्थानीय प्रशासन और मंदिर समिति की संयुक्त देखरेख में यह भव्य आयोजन शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो रहा है। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए वॉलिंटियर्स लगातार दिशा-निर्देश दे रहे हैं। महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के लिए विशेष सहूलियतें प्रदान की गई हैं। भदेश्वरनाथ धाम में सावन शिवरात्रि पर उमड़ा श्रद्धा का महासागर, ना केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि भारतीय संस्कृति और अध्यात्म की गहराई को भी दर्शाता है।
मंदिर का ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व
बता दें कि उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में स्थित बाबा भदेश्वर नाथ मंदिर न केवल श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि यह अपने आप में ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व भी रखता है। मान्यता है कि इस मंदिर में स्थित शिवलिंग की स्थापना लंकेश्वर रावण ने की थी। इसके अलावा, महाभारत काल में अज्ञातवास के दौरान युधिष्ठिर ने भी यहां भगवान शिव की पूजा की थी। बताया जाता है कि ब्रिटिश शासन के दौरान अंग्रेजी सेना इस मंदिर और इसके आस-पास के क्षेत्र पर कब्जा करना चाहती थी, लेकिन कहा जाता है कि दैवीय प्रकोप के चलते उन्हें पीछे हटना पड़ा। यह भव्य मंदिर बस्ती मुख्यालय से करीब 7 किलोमीटर दूर कुआनो नदी के तट पर स्थित है। सावन और सोमवार के दिन यहां दूर-दराज से लाखों श्रद्धालु जलाभिषेक के लिए आते हैं।