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श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की बैठक में 31 दिसंबर को होने वाली प्रतिष्ठा द्वादशी की तैयारियों और मंदिर से जुड़े कई महत्वपूर्ण निर्णयों पर चर्चा की गई। इस बैठक में शहीदों के लिए स्मारक बनाने, 19 मार्च को श्रमिकों का सम्मान करने और सांस्कृतिक आयोजनों की घोषणाएं की गईं।
राम मंदिर आंदोलन
Ayodhya: श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की एक अहम बैठक शनिवार, 13 दिसंबर को हुई, जिसमें राम मंदिर से संबंधित कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गई। इस बैठक की अध्यक्षता महंत नृत्य गोपाल दास ने की। बैठक में प्रतिष्ठा द्वादशी के कार्यक्रम के अलावा मंदिर निर्माण से जुड़ी कई घोषणाएं की गईं। इन कार्यक्रमों में न केवल धार्मिक क्रियाएं शामिल होंगी, बल्कि शहीदों को श्रद्धांजलि देने और मंदिर के आस-पास सांस्कृतिक आयोजनों का भी आयोजन किया जाएगा।
बैठक में ट्रस्ट ने यह भी ऐलान किया कि जिस स्थान पर प्राण प्रतिष्ठा से पहले श्रीराम, अपने भाइयों के साथ विराजमान थे, वहां एक भव्य मंदिर बनाया जाएगा। इसके अलावा, श्री राम मंदिर आंदोलन के दौरान अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीदों की याद में एक स्मारक भी बनाए जाने का निर्णय लिया गया। यह निर्णय उन महापुरुषों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए लिया गया है जिन्होंने श्रीराम मंदिर के निर्माण के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।
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ट्रस्ट ने यह भी ऐलान किया कि 31 दिसंबर को श्री राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की दूसरी वर्षगांठ मनाई जाएगी। इस अवसर पर मंदिर परिसर के सात उप-मंदिरों के शिखरों पर ध्वज फहराने का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। ट्रस्ट ने इस दिन को 'प्रतिष्ठा द्वादशी' के रूप में मनाने का निर्णय लिया है, और यह एक ऐतिहासिक और धार्मिक अवसर होगा।
बैठक में यह भी तय किया गया कि प्रतिष्ठा द्वादशी के सभी कार्यक्रम अंगद टीला पर आयोजित होंगे। 27 से 31 दिसंबर तक श्री राम जन्मभूमि मंदिर में मंडल पूजा होगी, जिसमें बड़े संख्या में भक्तों की भागीदारी होगी। इसके अलावा, श्री रामचरितमानस का संगीतमय अखंड पाठ किया जाएगा, जिसमें प्रसिद्ध भजन गायक अनूप जलोटा, सुरेश वाडकर और तृप्ति शाक्य सहित कई अन्य कलाकार अपनी प्रस्तुतियां देंगे।
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इस बैठक में ट्रस्ट ने यह भी बताया कि 25 नवंबर को श्री राम मंदिर पर ध्वजारोहण का एक भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया था। इस कार्यक्रम में तमाम साधु-संतों के साथ-साथ पूर्वांचल उत्तर प्रदेश से भी बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए थे। यह कार्यक्रम श्रीराम मंदिर के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था और भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं की महत्वता को दर्शाता है।
ट्रस्ट ने एक और महत्वपूर्ण निर्णय लिया कि मंदिर निर्माण में लगे लगभग 400 श्रमिकों को हिंदू नव वर्ष के अवसर पर 19 मार्च को आयोजित होने वाले एक विशेष कार्यक्रम में सम्मानित किया जाएगा। यह सम्मान उन श्रमिकों को दिया जाएगा जिन्होंने श्री राम मंदिर के निर्माण कार्य में अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण के साथ योगदान दिया है।