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Raebareli News: बछरावां में पेड़ों की अवैध कटाई जारी, वन विभाग और पुलिस की मिलीभगत से लकड़ी माफिया बेखौफ

रायबरेली के बछरावां विकासखंड में प्रतिबंधित फलदार और छायादार पेड़ों की अवैध कटाई का मामला सामने आया है। आम, जामुन, नीम और शीशम जैसे कीमती पेड़ों को दबंग ठेकेदार ने वन विभाग की मिलीभगत से काट डाला।
Post Published By: Tanya Chand
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Raebareli News: बछरावां में पेड़ों की अवैध कटाई जारी, वन विभाग और पुलिस की मिलीभगत से लकड़ी माफिया बेखौफ

Raebareli: जहां एक ओर योगी सरकार पूरे राज्य में पर्यावरण संरक्षण के तहत “एक पेड़ मां के नाम” अभियान चला रही है, वहीं दूसरी ओर रायबरेली जिले के बछरावां विकासखंड में इस अभियान को खुली चुनौती दी जा रही है। बछरावां के सैदपुर बेहटा ग्राम में बीते दिन लगभग दो दर्जन फलदार और प्रतिबंधित पेड़ों की अवैध कटाई का मामला सामने आया है।

बिना अनुमति के काट डाले पेड़

स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, आम, जामुन, नीम और शीशम जैसे कीमती पेड़ों को गांव के ही दबंग ठेकेदार रमेश कुमार यादव, निवासी रानीखेड़ा ने बिना किसी अनुमति के काट डाला। बताया जा रहा है कि मौके से चार ट्रक लकड़ी काटकर ले जाई गई। जब ग्रामीणों ने इसकी सूचना 112 नंबर पीआरबी (UP 32 DG 6656) पर दी, तो पुलिस और वन विभाग को सूचित किया गया।

सूचना देने वाले को मिली धमकी

हालांकि, सूचना देने वाले व्यक्ति को दबंग ठेकेदार ने जान से मारने की धमकी दी, जिससे क्षेत्र में दहशत का माहौल है। जब इस पूरे मामले की शिकायत सीओ महाराजगंज से की गई, तब जाकर स्थानीय पुलिस हरकत में आई, लेकिन वन विभाग और पुलिस के बीच कथित मिलीभगत के चलते कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।

ठेकेदार के खिलाफ विभागीय कार्रवाई

सूत्रों के अनुसार, रात के अंधेरे में पांच ट्रक लकड़ी को मौके से बाहर भेज दिया गया। इस पर जब वन दरोगा बृजेश वर्मा से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि लकड़ी को ग्रामीणों के सुपुर्द किया गया है। फॉरेस्टर ने बताया कि ठेकेदार के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जा रही है।

मामले पर वन विभाग का बयान 

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि वन विभाग की ओर से यह भी कहा गया कि अगर लकड़ी सरकारी होती तो उसे तुरंत ज़ब्त कर लिया जाता, लेकिन बिना परमिट फलदार और प्रतिबंधित पेड़ों की कटाई के कारण जुर्माना लगाया जाएगा और कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

इस घटना ने न केवल वन विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं, बल्कि योगी सरकार की हरित नीति पर भी गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है। अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो यह अवैध कटाई एक बड़े पर्यावरणीय संकट को जन्म दे सकती है।

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