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जनपद में डेढ़ माह की नवजात आकृति न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट से ग्रसित थी जिसका राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के अंतर्गत जनपद स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में किया गया। बच्ची को डॉ. सुयश सिंह, एम.एस. न्यूरो सर्जरी एवं उनकी टीम द्वारा सफल ऑपरेशन कर नया जीवन दिया गया।
आकृति को मिला नया जीवन
Raebareli: जनपद में डेढ़ माह की नवजात आकृति न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट से ग्रसित थी जिसका राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के अंतर्गत जनपद स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में किया गया। बच्ची को डॉ. सुयश सिंह, एम.एस. न्यूरो सर्जरी एवं उनकी टीम द्वारा सफल ऑपरेशन कर नया जीवन दिया गया।
बच्ची आकृति के पिता दीपक अग्रहरी व मां रूचि अग्रहरी ने कहा कि उनकी बच्ची का ऑपरेशन निःशुल्क हो गया यदि उन्हें जनपद से बाहर जाकर उपचार एवं ऑपरेशन करना पड़ता तो उनका पैसा भी बहुत खर्च होता और वह बहुत परेशान होते।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ0 नवीन चंद्रा ने कहा कि आरबीएस के तहत न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट का निशुल्क ऑपरेशन पहली बार अखिल भारतीय और विज्ञान संस्थान (एम्स) रायबरेली में कराया गया। इससे पहले इसकी सुविधा जनपद में नहीं थी। इस ऑपरेशन के लिए बच्चों को झांसी लखनऊ जैसे अन्य जिलों में जाना पड़ता था लेकिन अब आरबीएस के कार्यक्रम को एम्स रायबरेली के साथ जोड़ा गया है जिसके परिणामस्वरूप इसका ऑपरेशन जनपद में शुरू हुआ है। अब यहाँ के बच्चों को दूसरे जनपदों में जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
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मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि आरबीएसके के तहत 47 प्रकार की जन्मजात विकृतियों एवं बीमारियों का इलाज किया जाता है। जनपद में हर ब्लाक पर दो आरबीएसके टीम है। कुल 18 ब्लाक हैं। इस तरह कुल 36 आरबीएसके टीम सरकारी विद्यालयों, सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों एवं आंगनबाड़ी केंद्रों जाकर बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण कर उपचार करटी हैं या उच्च स्वास्थ्य केन्द्रों पर रिफर करती हैं। हर टीम में एक महिला व एक पुरुष चिकित्सक तथ दो पैरा मेडिकल स्टाफ होता है।
उपमुख चिकित्सा अधिकारी तथा नोडल डॉ अशोक कुमार ने बताया कि आरबीएस के तहत इस वित्तीय वर्ष में अप्रैल 2025 से अब तक 39 बच्चों का कटे होंठ एवं तालू का ऑपरेशन लखनऊ के हेल्थ सिटी हॉस्पिटल के सहयोग से निशुल्क से किया गया है।
डीएचईआईओ डी.एस. अस्थाना ने बताया कि आरबीएस के अंतर्गत राणा बेनी बांधव सिंह जिला चिकित्सालय में प्रत्येक बुधवार को क्लब फुट की जाँच और इलाज किया जाता है। इस वित्तीय वर्ष में क्लब फुट(टेढ़े मेढे पैर या घूमे हुए पैर) से पीड़ित 32 बच्चों का सफल उपचार किया जा चुका है तथा विगत सात वर्षों में 308 बच्चों का उपचार किया गया है।
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यह उपलब्धि जनपद में स्वास्थ्य सुविधाओं के सुदृढ़ीकरण की बड़ी मिसाल मानी जा रही है।