

काशी विश्वनाथ मंदिर के कर्मचारियों को अब राज्य कर्मचारी का दर्जा मिलेगा और उनकी सैलरी में तीन गुना तक बढ़ोतरी होगी। यह ऐतिहासिक निर्णय उनके वर्षों की सेवा का सम्मान है और उनके जीवन में बड़ा बदलाव लाएगा।
काशी विश्वनाथ मंदिर
अब तक काशी विश्वनाथ मंदिर के अर्चकों को 30,000 रुपये तक का वेतन मिलता था, लेकिन अब वेतन में इस बढ़ोतरी के बाद अर्चकों को एक बड़ी राहत मिलेगी। इस ऐतिहासिक बदलाव का ऐलान मंदिर न्यास द्वारा किया गया है, जिससे कर्मचारियों की मेहनत और सम्मान को एक नई पहचान मिलेगी। इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि मंदिर प्रशासन अपने कर्मचारियों को वह सम्मान देने के लिए प्रतिबद्ध है, जो वह लंबे समय से चाहते थे।
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दरअसल, काशी विश्वनाथ मंदिर का अधिग्रहण वर्ष 1983 में राज्य सरकार द्वारा किया गया था। उसके बाद से मंदिर के कर्मचारियों और खासकर पुजारियों को मिलने वाले वेतन और अन्य लाभों में कोई खास बदलाव नहीं आया था। हालांकि, कई सालों से वेतन में वृद्धि की मांग हो रही थी, लेकिन अब जाकर इस पर गंभीरता से विचार किया गया है।
मंदिर में कार्यरत पुजारियों के वेतन में वृद्धि के साथ ही उन्हें अन्य कई लाभ भी मिलेंगे, जिससे उनकी सेवा की गुणवत्ता में भी सुधार होगा। यह कदम न केवल कर्मचारियों के लिए फायदेमंद होगा, बल्कि मंदिर की कार्यप्रणाली में भी बदलाव लाएगा। इसके अलावा पुजारियों को अब अपनी सेवा में कुछ सुधार की उम्मीदें भी होंगी।
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काशी विश्वनाथ मंदिर के कर्मचारियों को राज्य कर्मचारी का दर्जा मिलने से उनके अधिकारों में वृद्धि होगी। इसका सीधा असर उनकी सामाजिक और वित्तीय स्थिति पर पड़ेगा। राज्य कर्मचारियों को मिलने वाली सुविधाओं और लाभों की सूची अब उनके लिए भी खुली है। इसके अलावा कर्मचारियों को पेंशन और अन्य सरकारी लाभ भी मिल सकते हैं, जिससे उनका भविष्य सुरक्षित होगा।
मंदिर न्यास द्वारा यह फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि लंबे समय से अर्चकों और कर्मचारियों की सेवा और वेतन को लेकर कई सवाल उठ रहे थे। इस निर्णय को लेकर मंदिर न्यास के अधिकारियों का कहना है कि यह कदम मंदिर की प्रगति और कर्मचारियों की मेहनत को सही सम्मान देने के लिए उठाया गया है। इसके साथ ही यह सुनिश्चित करने के लिए कि काशी विश्वनाथ मंदिर के कर्मचारियों को भी राज्य के अन्य कर्मचारियों के समान अधिकार और लाभ मिलें, इस कदम को उठाया गया है।