ओवैसी का ‘एकतरफा मोहब्बत’ पर तंज, बिहार चुनाव से पहले इंडिया गठबंधन को बड़ा झटका?

बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक समीकरण एक बार फिर उलझते नजर आ रहे हैं। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इंडिया गठबंधन के साथ जुड़ने की अटकलों पर एक तीखा बयान देकर साफ कर दिया है कि उनकी पार्टी अब अपनी शर्तों पर राजनीति करेगी।

Post Published By: Poonam Rajput
Updated : 14 July 2025, 7:06 PM IST
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Patna: बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक समीकरण एक बार फिर उलझते नजर आ रहे हैं। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इंडिया गठबंधन के साथ जुड़ने की अटकलों पर एक तीखा बयान देकर साफ कर दिया है कि उनकी पार्टी अब अपनी शर्तों पर राजनीति करेगी।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक,  ओवैसी ने कहा, “अब एकतरफा मोहब्बत नहीं होने वाली है। बिहार की जनता को समझना चाहिए कि हमारे खिलाफ जो आरोप लगाए गए, वे झूठ और भ्रम पर आधारित थे।” उनका यह बयान सीधे-सीधे उन दलों की ओर इशारा करता है जो 2020 में AIMIM पर भाजपा को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाते रहे हैं।

‘हम भी बीजेपी को हराना चाहते हैं, लेकिन…’

इंडिया गठबंधन को आड़े हाथों लेते हुए ओवैसी ने कहा कि गरीबों, पिछड़ों और मुस्लिमों की आवाज बनने पर उन्हें बदनाम किया जाता है। उन्होंने कहा, “वे इसलिए हम पर आरोप लगाते हैं क्योंकि वे नहीं चाहते कि गरीबों का नेता आगे आए। वे चाहते हैं कि बिहार के लोग उनके राजनीतिक गुलाम बने रहें। लेकिन हम भी भाजपा को हराना चाहते हैं, और इस बार बिहार में मजबूती से चुनाव लड़ेंगे।”

तीसरे मोर्चे की रणनीति और चुनाव आयोग पर सवाल

AIMIM प्रमुख ने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी तीसरे मोर्चे के गठन पर गंभीरता से विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि पार्टी के बिहार अध्यक्ष अख्तरुल ईमान पहले ही इस दिशा में पहल कर चुके हैं। ओवैसी के अनुसार, “बिहार की जनता अब सच और झूठ में फर्क करना जान चुकी है। हम एक नई विकल्प देने की दिशा में काम कर रहे हैं।”

चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल उठाते हुए ओवैसी ने विशेष मतदाता पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया पर भी तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग नागरिकता तय करने का अधिकार नहीं रखता, यह गृह मंत्रालय का विषय है। “अगर चुनाव आयोग के पास यह अधिकार नहीं है, तो वह मतदाता सूची की शुद्धता के नाम पर नागरिकता की जांच क्यों कर रहा है? यह तो एनआरसी की तरह है, लेकिन पिछले दरवाजे से।”

‘सीमांचल को निशाना क्यों?’

ओवैसी ने सीमांचल इलाके में मतदाता सत्यापन के नाम पर गरीब और मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाए जाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र बार-बार योजनाबद्ध रूप से शक्तिहीन करने की कोशिशों का शिकार बन रहा है।

राजद की चिंता और राजनीतिक दबाव

राजद समेत कई विपक्षी दलों को इस बात की चिंता है कि सीमांचल में अगर AIMIM फिर से अपने उम्मीदवार उतारती है तो पिछली बार की तरह वोट बंटेंगे और नुकसान विपक्ष को होगा। यही वजह है कि राजद ने अप्रत्यक्ष रूप से ओवैसी से बिहार चुनाव में भाग न लेने की अपील की है।

हालांकि ओवैसी के रुख से साफ है कि वे न केवल मैदान में उतरेंगे, बल्कि इस बार गठबंधन की मोहताज राजनीति से आगे बढ़कर तीसरे मोर्चे के नेतृत्व की भूमिका में भी रहना चाहते हैं।

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