

सुल्तानपुर में विद्युत व्यवस्था बुरी तरह चरमराई हुई है। प्रबंधन के आदेशों के बावजूद 111 निविदा कर्मी दफ्तरों में कार्यरत हैं, जबकि फील्ड में स्टाफ की भारी कमी है। पढ़िये पूरी खबर
सुल्तानपुर में बिजली व्यवस्था बेहाल (सोर्स- इंटरनेट)
Sultanpur: सुल्तानपुर जिले की विद्युत व्यवस्था पहले से ही पटरी से उतरी हुई है, ऊपर से प्रबंधन के आदेश भी बेअसर साबित हो रहे हैं। कार्यालयों में तैनात निविदा कर्मियों को हटाने का आदेश जारी होने के बावजूद ये कर्मचारी अब भी कंप्यूटर ऑपरेटर सहित अन्य कार्यों में जमे हुए हैं।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार अधिकारियों के खासमखास दीपक मौर्य, राजेश कुमार मौर्य, राम कुमार सिंह, देव प्रकाश गुप्ता, सौरभ मिश्रा, मो जिलानी, ज़हीनुद्दीन समेत कई निविदा कर्मी आराम से दफ्तरों में काम कर रहे हैं। जब इस बारे में जिम्मेदार अधिकारियों से पूछा गया तो उन्होंने टालमटोल से काम चलाया।
फील्ड स्टाफ की भारी कमी
उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन निविदा संविदा कर्मचारी संघ के जिला अध्यक्ष आनंद कुमार अग्रहरि ने भी इस मसले को उठाते हुए प्रबंधन से शिकायत की थी कि करीब 111 निविदा कर्मी सिर्फ दफ्तरों में कंप्यूटर ऑपरेटर के तौर पर काम कर रहे हैं, जबकि फील्ड में स्टाफ की भारी कमी है।
निविदा कर्मी कर रहा है घर के काम
चौंकाने वाली बात तो यह है कि अधीक्षण अभियंता विपुल कुमार जैन के घर पर भी शैलेंद्र कुमार नाम का निविदा कर्मी तैनात है, जो महज घर की देखभाल और साफ-सफाई के लिए रखा गया है।
257 निविदा कर्मियों के भरोसे चल रही है विद्युत व्यवस्था
कभी पूरे जिले की बिजली व्यवस्था संभालने के लिए 988 निविदा कर्मी तैनात थे, जो घटकर अब महज 368 रह गए हैं। इनमें भी 111 कर्मी अधिकारियों की सेवा में लगे हैं। नतीजा यह है कि करीब 257 निविदा कर्मियों के भरोसे जिले के 44 उपकेंद्रों की विद्युत व्यवस्था चल रही है, जिससे व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है।
रिया केजरीवाल के दौरे पर टिकी सबकी निगाहें
अब सबकी निगाहें 30 तारीख को जिले में प्रस्तावित प्रबंध निदेशक मध्यांचल रिया केजरीवाल के दौरे पर टिकी हैं कि क्या वे इन गंभीर सवालों का जवाब दे पाएंगी या फिर हालात यूं ही बने रहेंगे।
सुल्तानपुर में विद्युत विभाग की हालत बेहद चिंताजनक है। फील्ड स्टाफ की भारी कमी के बावजूद 111 निविदा कर्मी कार्यालयों में तैनात हैं, कुछ तो अधिकारियों के निजी कार्यों में भी लगे हैं। इससे 44 उपकेंद्रों की बिजली व्यवस्था मात्र 257 कर्मचारियों के भरोसे चल रही है, जो बेहद असंतुलित है।